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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…..फागुन महीना जेठ क तिना तपा रहय, या गरमी मडारि भइय्या

चतुरी चाचा अपने चबूतरे पर अधनंगे बैठे थे। वह केवल लुंगी पहने थे। पीठ पर गीला गमछा डाले थे। चाचा गर्मी से बेहाल थे। आज सुबह कड़क धूप निकली थी। हवा बिल्कुल थमी थी। पेड़-पौधे जैसे पत्थर के हो गए थे। ककुवा, कासिम चचा, बड़के दद्दा व मुंशीजी भी पसीने से लथपथ थे। पुरई सबके पंखा झल रहे थे।

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

ककुवा ने प्रपंच का आगाज करते हुए कहा- या गरमी मडारि भइय्या। काल्हि दिन मा चारि दांय नहावा। रात म तीन दफा चद्दर गील कइके ओढ़ेन। तब जाइके नींद परी। आजु सबेरे ते फूंके हय। इ साइत पंखा आगि उगल रहे। बसि कूलर अउ एसी म आराम मिलत हय। मुला, हम पंच कूलर अउ एसी कहाँ लगवाय पइब? गांवन म अतनी गरमी पहली दफा परि रही। फागुन महीना जेठ क तिना तपा रहय। चैत म भीषण गरमी भई। साँच पूछौ तौ मनई-मनई गरमी त बिल्लान हय।

पशु-पक्षी कुलिहौं बेहाल हयँ। सूरज ते आगि बरस रही। लूक अलग ते चलि रही। पानी पिअत-पिअत पेट डेहरी हून जात हय। मुदा, मुँह का सुखब बन्द नाय होत। कुछु समझ नाइ आवत कि इ गरमी त कइसय बचा जाय? गरमी क साथे पानिव केरा संकट खड़ा होय रहा। नदी, नाला, ताल, पोखर सब सुखि रहे। भूजल क्यारु स्तर रसातल म जाय रहा। इ समस्या प मिलि बैठिके विचार करय का परी।


चतुरी चाचा अपने चबूतरे पर अधनंगे बैठे थे। वह केवल लुंगी पहने थे। पीठ पर गीला गमछा डाले थे। चाचा गर्मी से बेहाल थे। आज सुबह कड़क धूप निकली थी। हवा बिल्कुल थमी थी। पेड़-पौधे जैसे पत्थर के हो गए थे। ककुवा, कासिम चचा, बड़के दद्दा व मुंशीजी भी पसीने से लथपथ थे। पुरई सबके पंखा झल रहे थे। इतनी भीषण गर्मी में भी गांव के बच्चे ‘लुकी-लुकवर’ खेल रहे थे। मेरे चबूतरे पर पहुंचते ही ककुवा ने पंचायत शुरू कर दी। ककुवा ने जानलेवा गर्मी के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने गर्मी से जुड़ी आपबीती बताते हुए कहा- इतनी भीषण गर्मी कभी नहीं हुई। कड़ी धूप और गर्मी से पेयजल का भी संकट खड़ा होने लगा है। इस पर हम सब लोगों को कुछ विचार करना चाहिए। सरकार और समाज को मिलकर कोई उपाय खोजना चाहिए।

चतुरी चाचा ने ककुवा की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- भाई गरमी क हाल न पुछव। काल्हि रात म बिजली चली गय रहय। भोर म बिजली आयी रहय। हम चारि घण्टा दुआरे टहलत रहेन। खटिया प लेटी तौ गरमी लागय। कुर्सी प बैठी तौ मच्छर नोचय। गरमी कहय हम रहब अउ मच्छर कहयँ हम रहब। सही बताइत हय, हम सगरी रात चलत रहेन। नल मा अंगौछा भिजय-भिजय क ओढ़ा। वहिते आराम मिलत रहय। अब द्याखव सबेरेन ते आगि लागि हय। अबहीं तौ सगरा दिन परा हय। सोचव, का दशा होई? युहु सब प्रकृति ते खेलय केरी सजा मिलि रही। मानव जाति अपनी सुख-सुविधा ख़ातिन हरेभरे जंगल काटि रही। पहाड़न का छलनी कय रही। नदियन पय बांध बनाय रही। धरती प कंक्रीट केरा जंगल बढ़तय जाय रहा। यही क खामियाजा मानव जाति भुगत रही। गरमी क इलाज एसी नाइ होय सकत। एसी ते वातावरण अउर प्रदूषित होय रहा। जस-जस एयर कंडीशनर बढ़ि रहे, वस-वस गरमी बढ़ि रही। पानी केरा संकट अलग ते मुँह बाये खड़ा हय।

ककुवा ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा- चतुरी भाई, यहिका इलाज एकुय हय। हम पंच प्रकृति ते खेलब बन्द करी। धरती प जल, जंगल अउ जमीन क्यार अनुपात ठीक करी। धरती अउ आसमान म कचरा कम करी। हर तिना का प्रदूषण रोका जाय। कागज केरे बजाय जमीन प पौधारोपण कीन जाय। हरियाली जतनी बढ़ी, गरमी वतनी घटी। हमका अगली पीढ़ी क बारे म सोचय क चही।


इसी बीच चंदू बिटिया हम प्रपंचियों के लिए जलपान लेकर आ गई। आज जलपान में बेल का ठंडा शर्बत था। सबने दो-दो गिलास बेल का शर्बत पीया। फिर एक बार प्रपंच आगे बढ़ा।
बड़के दद्दा ने बताया कि कड़ी सुरक्षा के बीच यूपी के वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का काम जारी है। सर्वे के दौरान तहखानों में सांपों के होने की आशंका के चलते सपेरे भी बुलाये गए हैं। ज्ञानवापी मामले में सीनियर डिविजन जज ने गुरुवार को मस्जिद के चप्पे-चप्पे के सर्वे के आदेश दिए थे।

जज ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस कमिश्नर मस्जिद में कहीं भी लगे ताले खोल या तोड़कर सर्वे का काम कर सकते हैं। कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र के अलावा दो अन्य कोर्ट कमिश्नर विशाल कुमार सिंह और अजय सिंह भी इस सर्वे में हिस्सा ले रहे हैं। सर्वे का काम सुबह 8 बजे से 12 बजे तक चलेगा। इसे 16 मई तक हर रोज किया जा सकता है। सर्वे के दौरान नक्शा बनेगा। वहाँ वीडियो और फोटोग्राफी भी होगी। सर्वे की रिपोर्ट 17 मई को कोर्ट में सौंपनी है। मस्जिद के आसपास बड़ी तादाद में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। सर्वे पर नजर रखने के लिए हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के वकील मस्जिद परिसर में मौजूद हैं।


इस पर कासिम चचा ने कहा- ज्ञानवापी मस्जिद ही क्यों, जितने भी विवादित स्थल हैं। सबकी निष्पक्ष जांच करवाकर विवाद का हमेशा के लिए निबटारा कर दिया जाए। एक-एक स्थान पर बवाल करना ठीक नहीं है। पहले अयोध्या का मुद्दा सैकडों वर्ष चलता रहा। अनेकानेक बार उसको लेकर खूनी संग्राम हुए। हजारों हिन्दू-मुस्लिम मारे गए। करोड़ों की संपत्ति स्वाहा हुई। तब जाकर अयोध्या विवाद का अंत हुआ। आज वहां रामलला का दिव्य मन्दिर बन रहा। अब काशी व मथुरा का विवाद जोर पकड़ रहा है। आगरा के ताजमहल को लेकर भी तरह-तरह की बातें हो रही हैं। इसके अलावा भी कुछ पूजा स्थलों को लेकर विवाद है। इस तरह के विवादों से सामाजिक समरसता को धक्का लगता है। हिन्दू-मुस्लिम के मध्य खाई बढ़ती है। भारत सरकार को चाहिए कि एक बार में ही सारे विवादित पूजा स्थलों को चिन्हित करे। सबकी न्यायालय की सरपरस्ती में निष्पक्ष जांच करवा ले। फिर सबका स्थायी हल निकाल दे। इसके साथ ही कोई कड़ा कानून पारित कर दे कि आज के बाद किसी पूजा स्थल को लेकर कोई विवाद मान्य नहीं होगा। देश को पूजा स्थलों में उलझाकर न्यू इंडिया की परिकल्पना बेमानी है।


मुंशीजी ने विषय परिवर्तन करते हुए बताया- भारत सरकार ने तत्काल प्रभाव से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे विश्व भर में सनसनी पैदा हो गई है। केंद्र सरकार ने इस बाबत एक अधिसूचना भी जारी दी है। स्थानीय कीमतों को काबू में रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। सबको मालूम है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है। सरकार ने कहा है कि पहले ही जारी किए जा चुके लेटर ऑफ क्रेडिट के तहत गेहूं निर्यात की अनुमति रहेगी। फरवरी के अंत में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से काला सागर क्षेत्र से निर्यात में गिरावट के बाद वैश्विक खरीदार गेहूं की आपूर्ति के लिए भारत की ओर रुख कर रहे थे। भारतीय वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि देश की समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करना सर्वोच्च प्राथमिकता है। पड़ोसी और अन्य कमजोर देशों की सरकारों के अनुरोध पर निर्यात की अनुमति दी जाएगी। भारत सरकार पड़ोसी और अन्य कमजोर विकासशील देशों की खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो गेहूं के वैश्विक बाजार में अचानक बदलाव से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हैं।

इस पर चतुरी चाचा ने बताया- रूस और यूक्रेन की बीच जारी जंग की वजह से गेहूं की अंतरराष्ट्रीय कीमत में करीब 40 फीसदी तेजी आई है। इसकी वजह से भारत से गेहूं का निर्यात बढ़ गया है। मांग बढ़ने से स्थानीय स्तर पर गेहूं और आटे की कीमतों में भारी तेजी आई है। एक अलग अधिसूचना में विदेश व्यापार महानिदेशालय ने प्याज के बीज निर्यात करने की शर्तों को आसान बनाने की घोषणा की है। देशभर में पिछले काफी समय से खाद्य सामग्री के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं, जिस वजह से लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष आटे की कीमत करीब 13 फीसदी बढ़ गई है।

मैंने परपंचियों को कोरोना अपडेट देते हुए बताया कि विश्व में अबतक 52 करोड़ से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 62 लाख 86 हजार से ज्यादा लोगों का निधन हो चुका है। इसी तरह भारत में अबतक चार करोड़ 31 लाख से ज्यादा लोग कोरोना की जद में आ चुके हैं। देश में अबतक पांच लाख 24 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। देश में अबतक कोरोना वैक्सीन की 191 करोड़ से अधिक डोज लगाई जा चुकी हैं। देश के 87 करोड़ से अधिक लोगों को कोरोना के दोनों टीके दिए जा चुके हैं। इस समय छह से 12 वर्ष की आयु वाले बच्चों को कोरोना वैक्सीन दी जा रही है। बूस्टर डोज निजी अस्पतालों में लग रही है। भारत के टीकाकरण अभियान की सफलता से हर कोई चकित है। भारत में कोरोना महामारी पर नियंत्रण बढ़ता ही जा रहा है।


अंत में चतुरी चाचा ने सबको बुद्ध पूर्णिमा की अग्रिम बधाई दी। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही के साथ फिर हाजिर रहूँगा।

तबतक के लिए पँचव राम-राम!

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