- Published by- @MrAnshulGaurav
- Thursday, May 19, 2022
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक सामान्य संवैधानिक प्रक्रिया है। जबकि प्रधानमंत्री के साथ प्रदेश मंत्रिपरिषद का संवाद अभिनव प्रयोग है। वस्तुतः यह डबल इंजन सरकार की स्वभाविक प्रतिध्वनि है। इसकी चर्चा चुनाव प्रचार के दौरान हुआ करती थी। यह बताया गया कि डबल इंजन सरकार के प्रयासों से विकास कार्यों को अभूतपूर्व आयाम मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली जगजाहिर है।
दो दशकों के संवैधानिक जीवन में उन्होंने कोई अवकाश नहीं लिया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी यही अंदाज है। दोनों नेताओं की सक्रियता बेमिसाल है। तीन से चार घण्टे की नींद इनके लिए पर्याप्त होती है। इसके बाद लगातार शासन कार्यों में इनकी व्यस्तता रहती है। इसी में वह राजनीतिक विषयों के लिए भी समय निकालते है। इसके अंतर्गत विपक्ष को माकूल जबाब दिया जाता है।
प्रधानमंत्री संक्षिप्त यात्रा पर लखनऊ आये थे। इसके पहले वह कुशीनगर और नेपाल के लुंबनी गए थे। वहां बुद्ध पूर्णिमा कार्यक्रमों में सहभागी हुए। नेपाल के प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई। दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने वाले छह समझौते हुए। यहां से लौटते समय वह लखनऊ पहुंचे थे। यहां प्रदेश मंत्रिपरिषद सदस्यों के साथ उनका संवाद हुआ। इस एक दिन के कार्यक्रम से ही उनकी कार्यशैली का अनुमान लगाया जा सकता है। इसमें नई दिल्ली से रवाना होने के पहले और फिर वापस लौटने के बाद अधिकारियों से उनकी बैठक के कार्यक्रम शामिल नहीं है। इस तरह बिना कुछ कहे ही उत्तर प्रदेश के मंत्रियों को बड़ा सन्देश मिला।
संवैधानिक दायित्वों के निर्वाह में इसी प्रकार के समर्पण की आवश्यकता होती है। योगी आदित्यनाथ स्वयं इसी प्रकार कार्य करते है। इस बार उन्होंने अपने सभी मंत्रियों की जिम्मेदारी व जबाबदेही का निर्धारण किया है। उनका कहना था कि दुबारा मिले जनादेश ने जिम्मेदारी भी बढा दी है। पिछले कार्यकाल के मुकाबले अब अधिक तेजी से कार्य करना अपरिहार्य है। योगी आदित्यनाथ के अनुसार उनका मुकाबला अपनी ही पिछली सरकार से है। पिछले पांच वर्षों के मुकाबले अगले पांच वर्षों में अधिक कार्य करके दिखाना है। यह मुकाबला अपने से है। क्योंकि उपलब्धियों के स्तर पर सपा बसपा के संयुक्त कार्यकाल को बहुत पीछे छोड़ दिया गया है। ऐसे में उसकी प्रतिस्पर्धा अब उन सरकारों से संभव ही नहीं है।
योगी सरकार आगे निकल चुकी है। योगी आदित्यनाथ ने अपनी ही पिछली सरकार से प्रतिस्पर्धा का संकल्प लिया है। इसका मतलब है कि वह अपने द्वारा पांच वर्षों में कायम हुए विकास के रिकार्ड को पीछे छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि अब सुशासन को और सुदृढ़ करने के लिए स्वयं से हमारी प्रतिस्पर्धा प्रारम्भ होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप नये भारत का नया उत्तर प्रदेश आकार ले रहा है। इस कार्य को और गति प्रदान की जाएगी। योगी सरकार पिछले कार्यकाल के दौरान सुशासन की स्थापना में सफल रही थी। इस पर सतत अमल जारी रखने का उन्हें जनादेश भी मिला है। सुशासन का क्षेत्र व्यापक होता है। इसके अनेक पहलू होते है।
पांच वर्ष में योगी सरकार ने सुशासन से संबंधित सभी मोर्चों पर शानदार प्रदर्शन किया। इस सन्दर्भ में प्रधानमंत्री की लखनऊ यात्रा महतपवपूर्ण रही। दो वर्ष बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत इसका आकलन किया जा रहा है। इस बार भाजपा ने उत्तर प्रदेश की अस्सी में पछत्तत से अधिक सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है। बताया जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ ने दुबारा सरकार बनाने के साथ ही मंत्रियों को सौ दिन की कार्ययोजना हेतु निर्देशित कर दिया था। प्रधानमंत्री के साथ बैठक में यह विषय भी रहा।
नरेंद्र मोदी ने मंत्रियों जनता के साथ जुड़े रहने,जन आकांक्षा को पूरा करने और अपने एजेण्डे के अनुरूप आगे बढ़ने का सुझाव दिया। प्रधानमंत्री के सम्मान में योगी अदित्यनाथ ने अपने आवास पर भोज का भी आयोजन किया था। योगी सरकार में विगत पांच वर्षों की उपलब्धियों व उसके आधार पर मीले जनादेश का आत्मविश्वास है। इसके बल पर उसने अधिक तेजी से आगे बढ़ने का निर्णय लिया है।
पांच वर्ष पहले योजनाओं के क्रियान्वयन में राष्ट्रीय स्तर पर यूपी का कोई स्थान नहीं रहता था। अब पचास योजनाओं में यूपी नम्बर वन है। विकास के कई बिंदुओं पर तो योगी सरकार का एक कार्यकाल सत्तर वर्षों पर भारी है। दूसरी पारी की शुरुआत में ही योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को सुशासन संबन्धी दिशा निर्देश दिए। सरकार ने अपना मन्तव्य स्पष्ट कर दिया। कानून व्यवस्था की सुदृढ़ रखने के साथ ही विकास कार्यों में तेजी कायम रखी जायेगी। सरकार जन अकांक्षाओं को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार को गरीबों के प्रति समर्पित बताया था। विगत सात वर्षों में गरीब कल्याण की अनेक योजनाओं को लागू किया गया। यह सभी योजनाएं उपलब्धियों की दृष्टि से अभूतपूर्व रही है। नरेंद्र मोदी अनेक बार यह कह चुके है कि देश व समाज की सेवा ही वर्तमान सरकार का उद्देश्य है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ भी इसी भावना से कार्य कर रहे हैं। प्रदेश सरकार राज्य में सुशासन,सुरक्षा, विकास एवं राष्ट्रवाद को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश सरकार ने लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ बिना भेदभाव के सभी गरीब एवं वंचित वर्ग तक पहुंचाने का कार्य किया है।
विगत पांच वर्षाें में प्रदेश की छवि बदलने में प्रशासनिक तंत्र ने पूर्ण मनोयोग से अपना प्रभावी योगदान दिया है। बदलते उत्तर प्रदेश ने देश को मजबूत किया है। चुनाव के पहले जारी लोक कल्याण संकल्प के सभी संकल्प बिन्दुओं को आगामी पांच वर्षाें में लक्ष्यवार एवं समयबद्ध ढंग से पूरा किया जाएगा। उत्तर प्रदेश को देश का नम्बर वन राज्य और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को देश की नम्बर वन अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन यूएस डॉलर बनाने के लिए दस प्राथमिक सेक्टरों को चिन्हित किया जाएगा। केंद्रीय आम बजट तथा लोक कल्याण संकल्प को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार का आगामी बजट तैयार किया जाएगा। बताया गया कि प्रधानमंत्री के साथ बैठक में संगठन और सरकार के बीच सामंजस्य पर भी विचार हुआ। इस समय प्रदेश अध्यक्ष प्रदेश सरकार में मंत्री पद का भी दायित्व निभा रहे है। नये अध्यक्ष के लिए विचार विमर्श चल रहा है।