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दुनिया भारतीय दीपावली महोत्सव और दीपोत्सव देखकर मंत्रमुग्ध

वैश्विक स्तरपर आज इन प्रश्नों के उत्तर ढूंढे जा रहे हैं कि भारत का दीपावली महोत्सव और दीपोत्सव 2022 इतना मंत्रमुग्ध कर देने वाला और पूरे विश्व में ऊर्जा का संचार देने वाला है तो जब त्रेता युग में भगवान राम स्वयंम आए होंगे और जो महोत्सव लोगों के दिलों में उस युग में हुआ होगा कितना खूबसूरत होगा।

हालांकि मेरा मानना है कि वर्तमान युग में कोई भी ऐसा जीव नहीं होगा जो आंखों देखा हाल बता सके क्योंकि यह बातें हम इतिहास के पन्नों में दर्ज गाथाओं के आधार पर करते रहे हैं, परंतु शोधकर्ताओं का उत्साह भी सटीक है। हालांकि पिछले दो वर्षों से भारत का दीपावली महोत्सव और दीपोत्सव अपेक्षाकृत नियमों अधिनियमों के बंधनों में था तो स्वाभाविक ही है। इतना जोश उत्साह वैभव तो कम होगा ही, परंतु वर्तमान 2022 की वैभवता उत्साह और उत्सव को देख हम फक्र से कह सकते हैं, यह मेरा भारत देश है।

पांच दिवसीय दिवाली महोत्सव के धनतेरस के बाद छोटी दिवाली पर अयोध्या में छठवीं बार दीपोत्सव 2022 का आयोजन किया गया जिसकी विशेषता यह रही कि 15 लाख़ दीपों से ऊपर एक साथ दीप जलाए गए जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गए हालांकि रिपोर्टिंग के मुताबिक अयोध्या में 20 लाख़ दीप जले और माननीय पीएम की उपस्थिति से लोगों का उत्साह और अधिक बढ़ गया क्योंकि पहली बार दीपोत्सव कार्यक्रम म में उनकी उपस्थिति हुई थी।

विशेष दीपोत्सव के रिकॉर्ड दीपों से तो, विश्व रिकॉर्ड की तैयारी, 15 लाख दीप प्रज्ज्वलित होतेही मंत्रमुग्ध हो गई दुनिया अयोध्या में रविवार को राम की पैड़ी पर 15 लाख दीप जलाकर नया विश्व रिकॉर्ड बन गया। इसके लिए गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड की टीम मौजूद रही। रिकॉर्ड बनाने के लिए 15 लाख दीपकों को 5 मिनट तक लगातार जलना जरूरी है। साथ ही सभी दीपकों को 40 मिनट के अंदर जलाना था।अयोध्या में 1.87 लाख से दीयों का 17 लाख तक का सफर अयोध्या का दीपोत्सव हर साल सफलता की नई कहानी लिख रहा है। यूपी में वर्ष 2017 में नई सरकार के गठन के बाद दीपोत्सव का कार्यक्रम शुरू किया गया।

इसके बाद से हर साल दीपोत्सव की भव्यता बढ़ती ही गई है। वर्ष 2017 में 1.87 लाख दीयों को जलाए जाने के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। एक साल बाद यानी वर्ष 2018 में इसकी संख्या करीब दोगुनी हो गई। इस साल दीपोत्सव पर 3.10 लाख दीये जलाए गए। वर्ष 2019 में 5 लाख, वर्ष 2020 में 5.51 लाख और वर्ष 2021 में 12 लाख दीये अयोध्या के घाटों पर जलाए गए। वर्ष 2022 में 15 लाख दीयों को जलाए जाने का विश्व रिकॉर्ड बना है।अभूतपूर्व, दिव्य-भव्य हुआ दीपोत्सव,यह पहला अवसर है जब विश्व के आठ देशों की रामलीला का मंचन हुआ।देश-विदेश के 1800 से अधिक लोक कलाकारों ने दीपोत्सव का वैभव बढ़ाया।

दीपावली पर्व दीपोत्सव मनाने की मान्यता है कि, भगवान श्रीराम के अयोध्या आगमन के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम ने अपनी अलग पहचान बना ली है। सनातन परंपरा के अभिन्न हिस्सा दीपोत्सव को लेकर विशेष रूप से कार्यक्रम किया गया। यह त्योहार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी के 14 वर्ष के वन प्रवास के बाद अयोध्या लौटने की पावन स्मृति स्वरूप है।

अयोध्या दीपोत्सव में भगवान श्रीराम की अयोध्या वापसी, भरत मिलाप, श्रीराम राज्याभिषेक आदि प्रसंगों का प्रतीकात्मक चित्रण भी इस बार के दीपोत्सव की शोभा बढ़ाया। पीएम नें सरयू की आरती भी उतारे। सभी कार्यक्रमों के दौरान सुमधुर भजन, आरती और मानस की चौपाइयां एवं दोहा आदि के गायन भी किया गया। राम की पौड़ी पर हुए भव्य दीपोत्सव और प्रभु श्रीराम के अयोध्या आगमन के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम में अनेकों देशों के राजदूतों की उपस्थिति दर्ज हुई है।

छोटी दीपावली दीपोत्सव पर्व पर PM Modi ने अपने संबोधन में कहा, दीपावली के दीपक हमारे लिए केवल एक वस्तु नहीं है। ये भारत के आदर्शों, मूल्यों और दर्शन के जीवंत ऊर्जापुंज हैं। आप देखिए, जहां तक नज़र जा रही है, ज्योतियों की ये जगमग, प्रकाश का ये प्रभाव, रात के ललाट पर रश्मियों का ये विस्तार, भारत के मूल मंत्र सत्यमेव जयते की उद्घोषणा है।

ये उद्घोषणा है हमारे उपनिषद वाक्यों की- सत्यमेव जयते नानृतं सत्येन पन्था विततो देवयान। अर्थात्, जीत सत्य की ही होती है, असत्य की नहीं। ये उद्घोषणा है हमारे ऋषि वाक्यों की- “रामो राजमणि: सदा विजयते। अर्थात्, विजय हमेशा राम रूपी सदाचार की ही होती है, रावण रूपी दुराचार की नहीं। तभी तो, हमारे ऋषियों ने भौतिक दीपक में भी चेतन ऊर्जा के दर्शन करते हुये कहा था-दीपो ज्योतिः परब्रहम दीपो ज्योतिः जनार्दन। अर्थात्, दीप-ज्योति ब्रह्म का ही स्वरूप है। मुझे विश्वास है, ये आध्यात्मिक प्रकाश भारत की प्रगति का पथप्रदर्शन करेगा, भारत के पुनरोत्थान का पथप्रदर्शन करेगा।

उन्होंने कहा आज अयोध्या जी, दीपों से दिव्य है, भावनाओं से भव्य है। आज अयोध्या नगरी, भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के स्वर्णिम अध्याय का प्रतिबिंब है। मैं जब रामाभिषेक के बाद यहाँ आ रहा था, तो मेरे मन में भावों की, भावनाओं की, भावुकताओं की लहरें उठ रहीं थीं। मैं सोच रहा था, जब 14 वर्ष के वनवास के बाद प्रभु श्रीराम अयोध्या आए होंगे, तो अयोध्या कैसे सजी होगी, कैसे संवरी होंगी? हमने त्रेता की उस अयोध्या के दर्शन नहीं किए, लेकिन प्रभु राम के आशीर्वाद से आज अमृतकाल में अमर अयोध्या की अलौकिकता के साक्षी बन रहे हैं।

जब हम स्वार्थ से ऊपर उठकर परमार्थ की ये यात्रा करते हैं, तो उसमें सर्वसमावेश का संकल्प अपने आप समाहित हो जाता है। जब हमारे संकल्पों की सिद्धि होती है तो हम कहते हैं- ‘इदम् न मम्’॥ अर्थात्, ये सिद्धि मेरे लिए नहीं है, ये मानव मात्र के कल्याण के लिए है। दीप से दीपावली तक, यही भारत का दर्शन है, यही भारत का चिंतन है, यही भारत की चिरंतर संस्कृति है।

   एडवो. किशन सनमुखदास भावनानी

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