राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने कहा कि विज्ञान और प्राचीन भारतीय ज्ञान का सममिलन समाज की विभिन्न समस्याओं का व्यावहारिक समाधान ला सकता है। मौसम विज्ञान समाज के लिए विज्ञान के प्रत्यक्ष लाभ का एक बेहतरीन उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में शायद ही कोई ऐसा तत्व हो जो मौसम और जलवायु के प्रभाव से अछूता हो। तेजी से बदलते परिवेश ने भूमंडलीय तापमान में बढ़ोत्तरी, मौसमी चक्र में बदलाव, कहीं सूखा तो कहीं अधिकाधिक वर्षा, ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्री जलस्तर में बढ़ोत्तरी आदि ने अत्यन्त कठिन परिस्थितियों को जन्म दिया है। आनंदीबेन पटेल ने आज भारत मौसम विज्ञान विभाग, मौसम केन्द्र, लखनऊ के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न प्रकार की जल-मौसम संबंधी प्राकृतिक आपदाएं होती रहती हैं, जो न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती हैं, बल्कि जनसामान्य की आजीविका पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।
आनंदी बेन ने कहा कि हम मौसम के खतरों को होने से नहीं रोक सकते, लेकिन बेहतर तैयारी और योजना के साथ हम निश्चित रूप से नुकसान को कम कर सकते हैं। राज्यपाल ने गुजरात की चर्चा करते हुए कहा कि गुजरात राज्य चक्रवात, ताप-लहर (लू), भारी वर्षा, सूखा, बाढ़ आदि जैसी अनेक गम्भीर मौसम आपदाओं एवं चुनौतियों का सामना करता है। लेकिन अब मौसम वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों से पूर्व में प्रसारित सूचनाओं एवं सचेत-संकेत से इन आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।