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बिना कमीशन दिये कोई काम नहीं हो सकता…!

उत्तराखंड।  पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जे पी नड्डा से मिलकर अपने इस बयान पर सफाई देने की कोशिश की कि देहरादून स्मार्ट सिटी परियोजना की ‘धीमी रफ्तार’ ने पार्टी नेताओं के बीच असहज स्थिति पैदा कर दी है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। रावत ने नड्डा के साथ अपनी मुलाकात की तस्वीर बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया पर साझा की। सूत्रों ने कहा कि भाजपा नेतृत्व ने उत्तराखंड में पार्टी नेताओं को कड़ा संदेश देते हुए उनसे अपनी शिकायतें पार्टी मंचों पर ही उठाने को कहा है।

कमीशन-खोरी’ जारी रहने का आरोप लगाकर सुर्खियों में रहने वाले भाजपा सांसद #तीरथ_सिंह_रावत भी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से मिलकर अपनी सफाई दे सकते हैं। तीरथ सिंह रावत का एक वीडियो रविवार को सामने आया जिसकी तारीख नहीं पता चली। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री को कहते सुना जा सकता है कि उत्तराखंड में बिना कमीशन दिये कोई काम नहीं हो सकता।

उन्हें सोशल मीडिया पर सामने आये इस वीडियो में कहते सुना जा सकता है कि अविभाजित उत्तर प्रदेश में जो व्यवस्था थी, वह अलग राज्य बनने के बाद भी जारी है। वह कह रहे हैं, ‘‘यह एक मानसिकता है। जब तक हम अपने राज्य को अपने परिवार की तरह नहीं देखेंगे, तब तक यह मानसिकता नहीं जाएगी।’’ वहीं, त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘स्मार्ट सिटी परियोजना पर काम बहुत अच्छा चल रहा था। तीन साल में यह 99वें स्थान से नौवें स्थान पर पहुंच गया। दुर्भाग्य से रफ्तार धीमी हो गयी और अब सभी को इसकी गति से परेशानी है।’’

दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के बयान से भाजपा नेताओं के लिए असहज स्थिति पैदा हो गयी। ये बयान खबरों में आने के बाद पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भाजपा की उत्तराखंड इकाई के प्रमुख महेंद्र भट्ट को दिल्ली तलब किया। भट्ट की यात्रा के एक दिन बाद ही त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राष्ट्रीय राजधानी में नड्डा से मुलाकात की। बैठक का उद्देश्य राज्य से जुड़ी सामान्य बातचीत बताया गया, लेकिनपार्टी सूत्रों ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री ने नड्डा से मिलकर उन्हें अपने बयान पर सफाई दी। सूत्रों के मुताबिक तीरथ सिंह रावत भी जल्द नड्डा से मिल सकते हैं।

सूत्रों ने कहा कि भाजपा नेतृत्व ने अपने नेताओं को मुख्यमंत्री, राज्य संगठन या राष्ट्रीय अध्यक्ष के समक्ष अपनी शिकायतें उठाने के लिए कहा है। समझा जाता है कि पार्टी नेताओं ने उत्तराखंड के अपने नेताओं से कहा है कि इस तरह के सार्वजनिक बयानों से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर होता है जबकि लोकसभा चुनाव महज डेढ़ साल दूर हैं। भाजपा नेताओं के इन बयान से विपक्षी कांग्रेस को सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधने का नया अवसर मिल गया है।

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