आरोप है कि पूरे क्षेत्र में होने वाली वसूली योगेश ही करता है। ला एंड आर्डर के अनुसार एक सिपाही 3 साल से ज्यादा एक ही थाने पर तैनात नहीं रह सकता है। लेकिन योगेश का यह जलवा है कि वह 3 वर्षों से ज्यादा एक ही थाने पर तैनात है। बड़ी बात तो यह है कि ट्रांसफर होने के बाद भी थाने को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहे है।
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डेढ़ महीने पहले ही ट्रांसफर लिस्ट में नाम होने के बावजूद भी नसीराबाद थाने का मोह नहीं छोड़ पा रहे योगेश। अब तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि आखिरकार योगेश को नसीराबाद थाने से ऐसा कौन सा मोह है जिसकी वजह से वो पुलिस अधीक्षक के आदेश को दरकिनार कर रहे है?
क्या कहते है जिम्मेदार?
इस बाबत थानाध्यक्ष नारायण कुशवाहा ने कहा आरक्षी योगेश यादव का नसीराबाद से खीरों ट्रांसफर की बात सत्य है लेकिन उसकी पिता की तबीयत खराब है जिसकी वजह से नसीराबाद के बगल में उसके पिता का इलाज चलता है। जिसकी वजह से वह उच्चाधिकारियों के निर्देशों के बाद रुका हुआ है। लेकिन चुनाव से पहले उस की रवानगी करा दी जाएगी और वसूली जैसे लगाए गए आरोप असत्य हैं।