नई दिल्ली। महंगे कच्चे तेल की वजह से चालू वित्त वर्ष में भारत का Current account चालू खाता घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.5 फीसद पर पहुंच सकता है। डॉलर के मुकाबले रुपये में आई गिरावट से स्थिति और गंभीर हुई है,अन्य विशेषज्ञों ने यह आशंका जताई है।
मूडीज ने इस साल और अगले साल विकास दर 7.4 फीसद रहने का अनुमान जताया है। तुर्की की अनिश्चितता और चीन की आर्थिक सेहत की चिंता में पिछले हफ्ते रुपया 70.32 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड स्तर तक गिर गया था। मूडीज के जॉय रैंकोत्गे ने कहा कि कमजोर रुपये से निर्यात में तो लाभ होगा, लेकिन इससे व्यापार घाटे पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है। जुलाई में व्यापार घाटा पांच साल के ऊंचे स्तर 18.02 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
भारत का Current account घाटा
उन्होंने कहा कि भारत का Current account चालू खाता घाटा वित्त वर्ष 2016-17 में जीडीपी का 1.5 फीसद रहा था। 2018-19 में यह 2.5 फीसद तक पहुंच सकता है। कच्चे तेल की बढ़ी कीमत और अन्य वस्तुओं के आयात में वृद्धि से यह स्थिति बन रही है। वित्त वर्ष 2017-18 में शुद्ध तेल आयात जीडीपी के 2.6 फीसद पर रहा था। चालू वित्त वर्ष में यह और बढ़ सकता है। जापान की वित्तीय फर्म नोमुरा ने चालू खाता घाटा 2.8 फीसद तक पहुंचने की आशंका जताई है।
आइएचएस के एपीएसी चीफ इकोनॉमिस्ट राजीव बिस्वास ने कहा, “रुपये में गिरावट के कई कारण हैं। इसकी एक बड़ी वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की सख्त मौद्रिक नीति रही। इससे डॉलर में मजबूती आई। नकारात्मक पहलू यह भी है कि अर्जेंटीना, वेनेजुएला और तुर्की जैसे उभरते बाजारों में आर्थिक संकट की वजह से वैश्विक निवेशक उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्रा और इक्विटी के प्रति सतर्कता बरत रहे हैं।