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बीजेपी का DALIT दांव उसे पड़ सकता है भारी,सवर्ण नाराज !

एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ सवर्णो ने जो मोर्चे खोला है उससे भाजपा को अंदाजा हो गया होगा कि 2019 में सवर्ण वोटरों की नाराजगी उस पर भारी पड़ने वाली है। भाजपा के इस फैसले का विरोध अंदर ही अंदर भाजपा के खेमे में भी है। बीजेपी का DALIT दांव उसे भारी भी पड़ सकता है।

लोहेे के चने चबाने पड़ सकते हैं : DALIT

एससी/एसटी एक्ट से भाजपा के उन सांसदों को ज्यादा परेशानी हो सकती है जो सवर्ण नहीं हैं लेकिन उनकी जीत में सवर्ण वोटरों की भूमिका निर्णायक होती है जिससे भाजपा के सवर्ण सांसदों को भी इस बार लोहेे के चने चबाने पड़ सकते हैं। बेरोजगारी, मंहगाई, रूपयों का अवमूल्यन, भ्रष्टाचार जैसी गड़बड़ियां सब पूर्व की सरकारों के समय की हैं जिन्हे दूर करने के लिए जनता ने भाजपा को प्रचंड बहुमत से दिल्ली भेजा था। गांव इलाकों में काम कर रहे भाजपा के बूथ स्तर के कार्यकार्तओं का भी आक्रोश नजर आ रहा है।

 

जब सरकार के नाकामियों के लिए यूपीए अथवा कांग्रेस की सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं तो हमसे पूछा जाता है कि बिना बताए पीएम के पाकिस्तान जाने के पीछे भी यूपीए का हाथ रहा है? या राम मंदिर निमार्ण के लिए भी यूपीए ने रोक रखा है। एससी एसटी एक्ट की तो बड़ी जल्दी थी और राम मंदिर के लिए राम जानें। – अपनी ही सरकार के प्रति यह प्रतिक्रिया एक भाजपा समर्थक की है जो हर हाल भाजपा का वोटर बना रहने का दावा करता है।

गांव के गांव खाली

नोटबंदी से हुई तबाही से जनता उबर नहीं पाई है। समाज सेवी डा विजय कहते हैं कि इस महीने नौजवानों से गांव के गांव खाली हो जा रहे थे। वे सब मुंबई, पंजाब, गुजरात आदि दूसरे प्रांतो में रोजी रोजगार के लिए कूच कर जाते थे। उनकी कमाई से घरों में चूल्हें जलते थे। उनके बच्चे पढ़ाई लिखाई करते थे। बेटे बेटी की शादी आदि निपट जाता था। दो साल से ऐसे घरों में मुर्दनी छायी हुई है। नौजवान एक आशा के साथ अपने कर्मस्थली तक जाता है। मगर कुछ ही दिन बाद निराशा का चादर ओढ़े वापस आ जाता है।

एक तरफ सरकार रोजगार का भरोसा दे पाने में विफल थी की वहीँ एससी/एसटी एक्ट का हथौड़ा चलाकर सवर्ण वोटरों को नाराज करने का काम किया।

रात्रि विश्राम से लेकर गांव चैपाल

व्यापारी कहते हैं कि हैरत है कि भाजपा के समर्थक अभी भी यह दावा करने से नहीं चूकते कि इस एक्ट का चुनाव परिणाम पर कोई असर नहीं पड़ने वाला लेकिन जिन्हें चुनाव मैदान में जाना है उनके दिल से पूछिए क्या गुजर रही है। गांवों में रात्रि विश्राम से लेकर गांव चैपाल के माध्यम से केंद्र सरकार की योजनाओं का बखान किया जा रहा है। जिसे सुनने के लिए भाड़े के स्रोता बुलाने पड़ रहे हैं।

भयग्रस्त होने की जरूरत नहीं

एससीएसटी एक्ट के बहाने जिन दलित वोटरों का दिल जीतने की कोशिश भाजपा ने की है। वह दांव उसका उल्टा असर दिखा रहा है। दलित, पिछड़ा वोट भी अब इनसे दूर जा रहा है। हालाकि भाजपा के जिलाध्यक्ष अरूण शुक्ल कहते हैं कि सवर्ण वोटर भाजपा को वेाट देगा। दलित एक्ट के जरिए भाजपा दलितों को सुरक्षा प्रदान कर रही है। इसमें किसी को नाराज अथवा भयग्रस्त होने की जरूरत नहीं है।

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