बड़े-बड़े होर्डिंग्स, बैनर और पोस्टरों से सजा रायपुर कांग्रेस महाधिवेशन के लिए तैयार है। तीन दिन तक चलने वाले इस महाधिवेशन में देश की सबसे पुरानी पार्टी वर्ष 2024 की चुनावी रणनीति और संगठनात्मक सुधारों को रफ्तार देने पर चर्चा करेगी। 24 से 26 फरवरी तक चलने वाले इस महाधिवेशन में देशभर के करीब पंद्रह हजार पार्टी नेता हिस्सा लेंगे।
कांग्रेस का यह महाधिवेशन ऐसे वक्त में हो रहा है, जब पार्टी सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है। पार्टी की सिर्फ तीन राज्यों में सरकार है। इस साल छत्तीसगढ़ सहित नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव है। वहीं, पार्टी पर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष को एकजुट करने का दबाव है। इसके साथ पार्टी अपने संविधान में भी कई अहम बदलाव कर रही है।
पार्टी वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ गठबंधन की संभावनाओं पर चर्चा करेगी। पार्टी महासचिव जयराम रमेश का कहना है कि हम गठबंधन पर चर्चा करेंगे, पर विपक्ष का कोई भी गठबंधन कांग्रेस के बिना सफल नहीं हो सकता। इसलिए पार्टी खुद को केंद्र में रखकर विपक्षी एकता का खाका तैयार करेगी।
महाधिवेशन में सबसे अहम सवाल कांग्रेस कार्यसमिति के चुनाव को लेकर है। पार्टी के अंदर सीडब्ल्यूसी चुनाव को लेकर भ्रम की स्थिति है। ऐसे में शुक्रवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में संचालन समिति की बैठक में सीडब्ल्यूसी चुनाव के बारे में निर्णय किया जाएगा।
पार्टी चुनाव का फैसला करती है तो 26 साल बाद चुनाव होंगे। कांग्रेस उदयपुर नवसंकल्प में सीडब्ल्यूसी सहित संगठन में पचास फीसदी हिस्सेदारी पचास वर्ष से कम आयु के नेताओं को देने का फैसला कर चुकी है। इसके साथ पार्टी ने तय किया है कि वह दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों को भी हिस्सेदारी देगी। सीडब्ल्यूसी के चुनाव होने की स्थिति में पार्टी को इस पर अमल करना मुश्किल होगा।