लखनऊ। राष्ट्रीय लोेकदल के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय (Ramashish Rai) ने कहा कि प्रदेश सरकार ने विगत 6 वर्षों में सबसे अधिक किसानों और नौजवानों को छलने का कुचक्र किया है। किसानों को उनकी आय लागत से दुगुनी करने और नौजवानों को करोड़ों की तादाद में रोजगार और नौकरी देने का लॉलीपॉप लगातार दिखाया जा रहा है परन्तु वास्तविकता के धरातल पर सरकार बौनी साबित हो रही है। शिक्षा विभाग की भर्तियां संभव नहीं हो पा रही हैं क्योंकि सरकार बेसिक शिक्षा के समुचित उत्थान के प्रति संवेदनहीन है और माध्यमिक षिक्षा सेवा चयन बोर्ड के गठन के प्रति उदासीन है।
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श्री राय ने कहा कि सरकार बाहर कंपनियों को बुलाकर रोजगार मेला आयोजित करा रही है, परन्तु इसके सकारात्मक परिणाम की सम्भावना बहुत क्षीण है क्योंकि कंपनियां सरकार के इशारे पर झूठा प्रचार और प्रसार करके अब तक युवाओं को भ्रमित करती रही हैं। यदि सरकार वास्तव में श्रमिकों और बेरोजगारों को नौकरी देना चाहती है तो लखनऊ के तालकटोरा स्थित विक्रम कॉटन मिल तथा निशातगंज स्थित पेपर मिल एवं कानपुर स्थित टाट मिल, एल्गिन मिल के साथ साथ लाल इमली जैसी ऊनी कपड़ों की मिल बंद पड़ी हैं।
यदि सरकार इन्हीं मिलों को पुनः चालू करने का कार्यक्रम निर्धारित कर दे तो हजारों युवाओं को आसानी से रोजगार मुहैया हो जायेगा और सरकार के लिए भी इन्फ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता बहुत कम रहेगी क्योंकि बिल्डिंग परिसर और मशीनें बंद पडी हैं जिन्हें कम खर्च में मरम्मत कराकर चालू किया जा सकता है।
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रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यदि सरकार की नीयत साफ है और बेरोजगार युवाओं को उनके जीवन निर्वाह का साधन उपलब्ध कराना चाहती हैं तो तुरंत ही उपरोक्त सभी मिलों को सूचीबद्ध करके युद्धस्तर पर कार्यवाही करे और राजकीय संसाधन की नीलामी करने से परहेज करें क्योंकि यह सभी सम्पत्तियां प्रदेश की सम्पत्तियां है और इन पर वर्तमान के साथ साथ भावी नागरिकों का अधिकार है। किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह की भावना थी कि छोटे छोटे कुटीर उद्योग धंधों द्वारा प्रदेश में बेरोजगारी समाप्त हो सकती है और श्रमिक अपना जीवन यापन आसानी से कर सकते हैं।