यूक्रेन के मसले पर दुनिया की महाशक्तियों में विभाजन की रेखा और चौड़ी होती जा रही है। अब तक यूरोप, अमेरिका जैसे देश ही यूक्रेन के मसले पर बंटे हुए थे, लेकिन अब यह एशिया की महाशक्तियों के लिए भी शक्ति संतुलन वाला मसला बन गया है।
जापानी पीएम फुमियो ने की भारत की तारीफ, स्वादिष्ट व्यंजनों का उठाया लुत्फ
मंगलवार का दिन इस मामले में बेहद अहम रहा। एक तरफ जापान के पीएम फुमियो किशिदा यूक्रेन पहुंच गए तो वहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मॉस्को का दौरा किया और व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। इस तरह एशिया की महाशक्तियां भी यूक्रेन के मसले पर बंट गई हैं। जापान के किसी राष्ट्राध्यक्ष ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा पर हुई बमबारी के बाद पहली बार किसी युद्धग्रस्त देश का दौरा किया है।
इस बीच शी जिनपिंग ने यूक्रेन युद्ध को चीन के हित में साधने की कोशिश की है। उन्होंने रूस जाकर व्लादिमीर पुतिन को न्योता दिया कि वे भी बेल्ट ऐंड रोड फोरम का हिस्सा बनें। इसके जरिए चीन मध्य एशिया से लेकर यूरोप तक संपर्क मार्ग बनाना चाहता है।
माना जा रहा है कि इसके जरिए वह अपने एक्सपोर्ट के लिए दुनिया भर के बाजारों तक कनेक्टिविटी बनाना चाहता है। इसी परियोजना का एक हिस्सा चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर भी है, जिस पर भारत को आपत्ति रही है। इसकी वजह यह है कि यह जम्मू-कश्मीर के उस हिस्से से गुजरता है, जिस पर पाक ने अवैध कब्जा कर रखा है।
फुमियो किशिदा का यह यूक्रेन दौरा राजकीय विजिट नहीं था बल्कि वह अचानक ही पहुंचे। वह जी-7 देशों में शामिल इकलौते नेता थे, जिसने यूक्रेन का दौरा नहीं किया था। जापान की आंतरिक राजनीति के लिहाज से भी यह अहम है।
फुमियो किशिदा पर दबाव था कि वह यूक्रेन का दौरा कर उसका समर्थन करें क्योंकि प्रतिद्वंद्वी देश चीन के राष्ट्रपति रूस के दौरे पर हैं और इससे पहले भी वह लगातार खुलकर मॉस्को का समर्थन कर रहा है। फुमियो किशिदा के स्वागत की तस्वीर भी वोलोदिमीर जेलेंस्की ने शेयर की है। उन्होंने किशिदा को अंतरराष्ट्रीय जगत में शांति का प्रबल समर्थक और यूक्रेन का सच्चा दोस्त करार दिया।