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हमारा दिमाग ही हमारी समस्याओं की उपज है: डा राजपूत

लखनऊ। नवयुग कन्या महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग द्वारा विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डा अजय सिंह राजपूत (नूरमंजिल), डा रश्मि सक्सेना (असिस्टेंट प्रोफेसर मनोविज्ञान विभा, श्रीराम स्वरूप विश्वविद्यालय), सर्वेश अस्थाना (स्माइल मैन) एवं महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो मंजुला उपाध्याय मनोविज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रो सृष्टि श्रीवास्तव उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन और अतिथियों के स्वागत से हुआ।

हमारा दिमाग ही हमारी समस्याओं की उपज है: डा राजपूत

मुख्य वक्ता डा अजय सिंह राजपूत का परिचय देते हुए प्रो‌ सृष्टि श्रीवास्तव ने कहा कि विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 1994 से मनाया जा रहा है, हरा रंग प्रतीक के रूप में माना जाता है। 2023 में जब वर्ड हैप्पीनेस देशों की सूची में भारत का कोई स्थान नहीं है। हमारे देश में प्रतिदिन आत्महत्या की घटनाएं होती हैं। इसके लिए हमें जागरूक होना चाहिए। उन्होंने बताया कि डा अजय सिंह करीब 20 वर्षो से इस पर कार्य कर रहे हैं।

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डा अजय सिंह राजपूत ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम कभी सोचे कि हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है? हमें खुशियां कहां से मिलती है? सभी की समस्याएं अलग-अलग होती है। हमारा दिमाग ही हमारी समस्याओं की उपज है। हमारे संविधान के 21वें अनुच्छेद में भी लिखा गया है मनुष्य को यह अधिकार है किअपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक रहें। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का यही उद्देश्य है कि हम अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक रहें। उन्होंने पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि हमारे व्यक्तित्व के निर्माण में हमारे परिवार और समाज का प्रभाव होता है।

हमारा दिमाग ही हमारी समस्याओं की उपज है: डा राजपूत

हमें कुछ आदतें अपने माता पिता से मिलती है और कुछ समाज से।हम अकेले भी रहकर बहुत कुछ सीखते हैं। हमारे अंदर चार प्रकार के डर रहते हैं जिनके कारण हम स्वयं ही परेशान रहते हैं और जिंदगी की भाग-दौड़ में व्यस्त रहते हैं। अगर हम इन डर से डरना छोड़। दें तो हम परेशान नहीं होंगे। क्योंकि हमारे जन्म और मृत्यु पर हमारा कोई अधिकार नहीं होता है। इसलिए हमें आपस में संवाद स्थापित कर समस्याओं को सुलझा सकते हैं। उन्होंने महात्मा बुद्ध का उदाहरण दिया।

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डा रश्मि श्रीवास्तव ने कहा कि वर्तमान समय में युवा वर्ग अवसाद से पीड़ित हैं हमारे पास प्रतिदिन छात्र छात्राएं अपनी समस्या लेकर आते हैं इसके लिए हमें प्रतिदिन मानसिक स्वास्थ्य के बारे में ध्यान रखना चाहिए। स्माइल मैन सर्वेश अस्थाना ने कहा कि या तो दीवाना हंसे या तू जिसे तौफीक दे वर्ना इस दुनिया में मुस्कुराता कौन है दुनिया में जब आप अपने से ऊपर उठकर पूरी दुनिया से प्रेम करने लगते हैं तो आनंद प्राप्त होता है। जब हम किसी दूसरे के लिए कुछ अच्छा करते हैं तो हमें एक आत्मिक शांति मिलती है।

उन्होंने इस अवसर पर सबको खूब हंसाया और कविताएं भी सुनाई। इस अवसर पर मनोविज्ञान विभाग की प्रो सृष्टि श्रीवास्तव, प्रो ज्योतिका राठौर, डा सोनल अग्रवाल, सुकन्या तिवारी एवं महाविद्यालय की समस्त प्रवक्ताएं और छात्राएं उपस्थित रही।

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