मोतिगरपुर/जयसिंहपुर (सुल्तानपुर)। चौरासी बाबा ट्रस्ट की संपत्ति की वसीयत, बैनामा और ट्रस्ट को लेकर छिड़े विवाद में पुलिस के खिलाफ रविवार को महिलाओं समेत लोगों का आक्रोश भड़क उठा। तब जाकर पुलिस ने घटना के तीसरे दिन छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया। शुक्रवार को यह प्रकरण सामने आने के बाद से ही पुलिस ने बैनामा लिखाने वाले सेवादार शरद यादव, दूसरे सेवादार दिनकर निषाद के पिता सतिराम और एक अन्य को थाने में बैठा लिया था। शनिवार को पुराना बैनामा निरस्त कर नए सिरे से बैनामा किए जाने आदि की प्रक्रिया हो जाने के बाद भी इन लोगों के घर न पहुंचने से इन लोगों के परिजनों, रिश्तेदारों व बेलहरी गांव के लोगों में गुस्सा फैलने लगा।
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इन तीनों को मोतिगरपुर थाने में ही बैठाया गया था। इसलिए रविवार दोपहर दिनकर निषाद की पत्नी सीमा निषाद और बहन सरिता आधा दर्जन महिलाओं के साथ थाने पहुंची और तीनों को छोड़ने की मांग की। इस पर उन्हें पुलिस वालों ने थाने से बाहर जाने को कह दिया। करीब आधे घंटे बाद जानकारी होने पर बड़ी संख्या में बेलहरी गांव की महिलाएं और पुरुष थाने पहुंच कर सतिराम, शरद व एक अन्य को छोड़ने का दबाव बनाने लगे। इस पर पुलिस वालों ने जयसिंहपुर कोतवाली में केस दर्ज किए जाने की बात कहकर लौटा दिया।
महिलाओं का आरोप है कि थाने के दीवान ने उन्हें बाहर न जाने पर पीएसी से पिटवाने की धमकी दी। थाने पर पहुंचीं सविता, संगीता, सुनीता, तारा देवी, सुरेंद्र निषाद, जितेंद्र निषाद, संजय कुमार, सिकंदर और त्रिलोकी सहित बड़ी संख्या में उपस्थित महिलाएं और पुरुष पुलिस पर ज्यादती का आरोप लगाते हुए सोमवार को डीएम और एसपी कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन की बात कही है। थाना अध्यक्ष मोतिगरपुर ज्ञानचंद शुक्ला ने बताया कि ग्रामीणों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं आई थीं।
उन्हें जयसिंहपुर कोतवाली में विधिक कार्रवाई किए जाने की सूचना देकर वापस कर दिया गया है। उधर, जयसिंहपुर थानाध्यक्ष प्रेमचंद्र सिंह ने बताया कि शरद यादव, दिनकर निषाद समेत छह लोगों के खिलाफ सेवादार शिवेंद्र सिंह की तहरीर पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है।
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दिनकर की पत्नी सीमा ने कहा कि मेरे पति ने कोई फर्जीवाड़ा नहीं किया है। चौरासी बाबा ने खुद जमीन लिखी थी और वसीयत किया था। पुलिस वाले दबाव डालकर उसे वापस भी करा दिए फिर भी इन लोगों को नहीं छोड़ रहे हैं। आज तीसरा दिन है, फिर भी बिना किसी मुकदमे के थाने में किसलिए बैठाए हैं। हम लोगों को बाबा से मिलने भी नहीं दिया जा रहा है। दिनकर की बहन सरिता का आरोप है कि कुछ लोग बाबा को बंधक बना लिए हैं। उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा है। बाबा ने अपनी मर्जी से जमीन लिखी थी। कुछ लोग दबाव डालकर जबरदस्ती अंगूठा लगवाकर वापस ले लिए, उसके बाद भी पुलिस मेरे पिता, शरद यादव और संदीप को नहीं छोड़ रही है।
इस पूरे प्रकरण में चौरासी बाबा की जमीन का बैनामा कराने और फिर निरस्त कराने के मामले में भले ही कोई भी पक्ष सही हो लेकिन यह तय है कि इसमें रजिस्ट्री दफ्तर की भूमिका गलत है क्योंकि यदि पहले हुआ बैनामा और कार्रवाई सही थी तो बाद में जिस तरह बेहोशी की हालत में लाए गए दिनकर से रजिस्ट्री आदि में बयान कराया गया वह गलत है। यदि पहले धोखाधड़ी हुई है तो रजिस्ट्री कार्यालय उसमें भी दोषी होगा।