• लखनऊ महानगर का जनपद संस्कृत सम्मेलन सम्पन्न।
• संस्कृतभारती द्वारा संस्कृत भाषा में वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई।
लखनऊ। संस्कृत भारती लखनऊ महानगर का जनपद संस्कृत सम्मेलन का कार्यक्रम शिवमन्दिर परिसर, महानगर में अति उत्साहपूर्वक सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि प्रो लक्ष्मी निवास पाण्डेय, कुलपति, कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा (बिहार) में अपने उदबोधन में कहा कि संस्कृत दिव्य भाषा है इसीलिए देवभाषा है।
संस्कृत और संस्कृति ही हमारी पहचान है। संस्कृत स्वयं में संजीवनी है वर्तमान समय में सिर्फ़ प्रचार की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ अनुपमा गोपाल निगम, न्यायविद और मुख्य वक्ता साध्वी विश्वभारती, स्वामी हरिहरानन्द आश्रम, नैमिषारण्य रही।
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द्वितीय सत्र में प्रो सर्व नारायण झा, निदेशक, राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ परिसर ने अपने उदबोधन में कहा कि संस्कृति संस्कार करती है और संस्कृति की रक्षा संस्कृत करती है। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ एमएलबी भट्ट, पूर्व कुलपति, केजीएमयू ने कहा कि हमारी दिनचर्या भारतीय शास्त्रों में वर्णित जीवनशैली के अनुसार होनी चाहिए किंतु इसका ज्ञान संस्कृत के द्वारा ही संभव है।
सम्मेलन में गृहोपयोगी वस्तुओं की प्रदर्शनी भी लगाई गई, संस्कृत भारती द्वारा संचालित बालकेंद्र का प्रत्यक्ष प्रदर्शन और लविवि के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति भी प्रस्तुत की गयी।
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सम्मेलन को संस्कृतभारती के क्षेत्र संयोजक कन्हैया लाल झा और अवध प्रान्त के अध्यक्ष शोभन लाल उकील ने भी सम्बोधित किया। मंच संचालन डॉ सत्यकेतु और धन्यवाद ज्ञापन डॉ नरेश दीक्षित ने किया। इस अवसर पर क्षेत्र के प्रबुद्ध वर्ग और विभिन्न विद्यालयों के छात्र उपस्थित रहे।