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मणिशंकर बोले- राजीव ने बहुमत का इस्तेमाल एकता के लिए किया, मोदी सरकार थोप रही एकरूपता

कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने अपनी पुस्तक ‘द राजीव आई न्यू’ में राजनीति से जुड़े कई किस्सों को साझा किया। साथ ही उन्होंने इसके जरिए कई राजनीतिक सवालों को भी दागा है। उन्होंने एक साक्षात्कार में अपनी किताब से जुड़ी बातों को साझा किया। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी की सरकार ने देश को एकजुट करने के लिए अपने जानदेश का इस्तेमाल किया था, लेकिन मौजूदा मोदी सरकार ठीक इसके विपरित है। वे अपने प्रबल बहुमत के साथ देश की विविधता में एकरूपता लागू करने की कोशिश कर रहे हैं।

राजीव गांधी ईमानदार व्यक्ति थे, लेकिन…- अय्यर
राजीव गांधी से जुड़े सवालों पर उन्होंने कहा कि भारत के सबसे गलत प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी को दिखाया गया है, जबकि वे बहुत ईमानदार व्यक्ति थे। हालांकि वे राजनीति में परिपक्व खिलाड़ी नहीं थे, उनमें राजनीतिक कुशलता का अभाव था, जो आमतौर सामान्य व्यक्तियों में देखने को मिलता है। उन्होंने कहा राजीव गांधी ने कभी धर्मों को भड़काने का काम नहीं किया, शाहबानो मामले पर पूर्व पीएम की अलोचना अनुचित थी।

राजीव गांधी और मौजूदा सरकार में ध्रुवीय अंतर- अय्यर
रामजन्मभूमि मुद्दे पर मणिशंकर अय्यर ने कहा कि पूर्व राज्यमंत्री अरुण नेहरू ने मंदिर का ताला खोला था। जिसके बाद राजीव गांधी द्वारा मंत्रिपरिषद और पार्टी पद से बाहर कर उन्हें दंडित किया गया था। लोग कहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री के आदेश पर मंदिर के ताले खोले गए थे। 1986 में जब ताले खोले गए थे, तो किसी को अनुमान नहीं था कि 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर का उद्धाटन होगा। उन्होंने राजीव गांधी की सरकार और वर्तमान मोदी सरकार की तुलना करते हुए कहा कि दोनों सरकारों के पास स्पष्ट बहुमत रहा, लेकिन वे दोनों सरकारों में कई अंतर हैं। दोनों एक दूसरे के ध्रुवीय विपरीत हैं। आज विविधता पर एकरूपता लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। अय्यर ने कहा कि भारत में राजनीति का मूल सिद्धांत विविधता का सम्मान करते हुए एकता सुनिश्चित करना है।

राजीव गांधी द्वारा बनाया गया कानून आज भी प्रासंगिक
1985 के शाहबानो मामले का जिक्र करते हुए अय्यर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तलाकशुदा मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देने के पक्ष में फैसला सुनाया था। अय्यर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2001 के अपने फैसले में ही मुस्लिम महिलाओं (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 को सही ठहराया था, जिसे राजीव गांधी सरकार द्वारा लाया गया था। अय्यर ने कहा कि सरकारें बदलने के बावजूद आज भी वह अधिनियम बना हुआ है, इसका साफ मतलब है कि राजीव गांधी ने सही निर्णय लिया था।

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