सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण के मद्देनजर ग्रैप प्रतिबंधों में ढील देने से साफ इनकार कर दिया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, जब तक एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) में लगातार सुधार नहीं दिखता, तब तक वह ग्रैप-3 या ग्रैप-2 से नीचे प्रतिबंध लगाने का आदेश नहीं दे सकता।
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‘मजदूरों को राहत के तौर पर मजदूर उपकर का करें इस्तेमाल’
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि ग्रैप-4 के तहत लगे प्रतिबंधों से समाज के कई वर्ग, जैसे मजदूर और दिहाड़ी मजदूर, बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों से कहा कि निर्माण कार्यों पर लगे बैन के दौरान मजदूरों के लिए राहत के तौर पर उनके पास जमा लेबर सेस (मजदूर उपकर) का इस्तेमाल किया जाए।
‘स्कूल फिर से खोलने पर विचार करे CAQM’
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से स्कूलों और कॉलेजों में शारीरिक कक्षाएं फिर से शुरू करने पर विचार करने को कहा, क्योंकि कई छात्रों के पास ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने के लिए मध्याह्न भोजन और बुनियादी ढांचे की कमी है। लजस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि बड़ी संख्या में छात्रों के पास घर पर एयर प्यूरीफायर नहीं हैं और इसलिए घर पर रहने वाले बच्चों और स्कूल जाने वाले बच्चों के बीच कोई अंतर नहीं हो सकता है।
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दिल्ली-एनसीआर के वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार हुआ है, लेकिन कई इलाकों में एक्यूआई 300 के ऊपर दर्ज किया गया है। प्रदूषण के कारण बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए 12वीं तक के सभी स्कूल बंद रखे गए हैं और ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करने के निर्देश दिए गए हैं। ग्रैप-4 प्रतिबंध विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी में गैर-आवश्यक सामान ले जाने वाले ट्रकों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने से संबंधित हैं। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी ग्रैप को पहली बार 2017 में लागू किया गया था, जो स्थिति की गंभीरता के अनुसार राजधानी और उसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण विरोधी उपायों का एक सेट था।