दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं ब्रिटेन और जपान मंदी के भंवर में फंस गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में गुरुवार को ये दावे किए गए। रायटर की ओर से गुरुवार को बताया कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था इस साल के अंत में होने वाले चुनाव से पहले, 2023 की दूसरी छमाही में मंदी का शिकार हो गई। रॉयटर्स की रिपोर्ट में आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से कहा गया है कि दिसंबर तक तीन महीनों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.3 प्रतिशत की गिरावट आई है, यह जुलाई और सितंबर के बीच 0.1 प्रतिशत तक कमजोर हुई थी।
लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी की वृद्धि नकारात्मक रहने पर उस स्थिति को मंदी से परिभाषित किया जाता है। वित्त मंत्री जेरेमी हंट ने कहा कि “संकेत थे कि ब्रिटिश अर्थव्यवस्था सिकुड़ रही है। ऐसे में हमें योजनाओं पर टिके रहने की जरूरत है। एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाने के लिए काम और व्यवसाय पर करों में कटौती जैसे कदम उठाए गए हैं।” रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, हंट अपने बजट में चुनाव पूर्व कर कटौती को निधि देने के लिए सार्वजनिक खर्च योजनाओं से अरबों पाउंड की कटौती करने की अपील की थी।
ब्रिटेन के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (ONS) ने कहा है कि ताजा मंदी के बावजूद 2022 की तुलना में 2023 में अर्थव्यवस्था 0.1 प्रतिशत बढ़ी। बैंक ऑफ इंग्लैंड (BoE) ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि 2024 में उत्पादन में थोड़ी तेजी आएगी, पर यह वृद्धि 0.25 प्रतिशत की ही होगी।
जापान में भी अर्थव्यवस्था अप्रत्याशित रूप से सिकुड़ी
उधर, जापान की अर्थव्यवस्था भी अप्रत्याशित रूप से संकुचित हो गई है, जिससे देश मंदी की ओर बढ़ रहा है। इसके साथ ही जापान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के मामले में जर्मनी से पिछड़ गया है। जापान में सकल घरेलू उत्पाद 2023 के अंतिम तीन महीनों में 0.4 प्रतिशत की वार्षिक गति से सिकुड़ गया। कैबिनेट कार्यालय ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। तकनीकी तौर पर लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी अगर माइनस में रहती है तो इसे मंदी माना जाता है।