@शाश्वत तिवारी आज शंकर सिंह रघुवंशी (Shankar Singh Raghuvanshi) की पुण्यतिथि। है। साल 1987 की 26 अप्रैल को 65 साल की उम्र में शंकर सिंह रघुवंशी का निधन हो गया था। जबकी इनका जन्म हुआ था 15 अक्टूबर 1922 को। पृथ्वीराज कपूर के थिएटर ग्रुप पृथ्वी थिएटर से जुड़ने के बाद शंकर सिंह ने खूब टूर्स किए। और उनका काम था नाटकों के वक्त हुस्नलाल-भगतराम के असिस्टेंट की हैसियत से लाइव तबला बजाना। कभी-कभार वो छोटे-मोटे रोल भी पृथ्वी थिएटर के नाटकों में निभा लिया करते थे।
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उन दिनों पृथ्वीराज कपूर शकुंतला नाम अपना एक नाटक शुरू करने की तैयारी कर रहे थे। एक दिन एक लड़का उनसे मिला। उस लड़के ने गुज़ारिश की कि आप मुझे भी कोई काम इस नाटक में दे दीजिए। पृथ्वीराज कपूर ने लड़के से पूछा कि तुम क्या करते हो। लड़के ने जवाब दिया कि मैं तबला बजा लेता हूं। हारमोनियम भी बजा लेता हूं। डांस भी कर लेता हूं। और कभी-कभार नाटकों में इक्के-दुक्के डायलॉग्स भी स्टेज पर बोल चुका हूं। उस लड़के के मुंह ये से बात सुनकर पृथ्वीराज कपूर कपूर बड़े प्रभावित हुए। उन्होंने लड़के से दादर आने के लिए कहा। दादर में एक जगह थी जहां अक्सर नाटकों रिहर्सलें चला करती थी।
पृथ्वीराज कपूर के बताए वक्त पर वो लड़का दादर पहुंच गया। लड़के ने देखा कि वहां तो बहुत बड़े-बड़े कलाकार बैठे हैं। लड़का थोड़ा झिझका। उसे लगा कि इतने बड़े कलाकारों के सामने मैं तो कुछ भी नहीं हूं। मैं क्या ही कर पाऊंगा यहां। लड़का इन्हीं ख्यालों में खोया था कि पृथ्वीराज कपूर ने आवाज़ देकर उसे अपने पास बुलाया। ये पूरा घटनाक्रम 1940 के आस-पास का है। पृथ्वीराज कपूर ने उस लड़के से कहा कि तबला बजाकर सुनाओ। लड़का तैयार हो गया। इत्तेफाक से वहां नामी सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खान साहब भी मौजूद थे। पृथ्वीराज कपूर ने लड़के से कहा कि इनके साथ संगत करो।
लड़के ने पृथ्वीराज कपूर से कहा कि आप पहले मुझे दो मिनट सोलो तबला बजाने का मौका दे दीजिए। फिर मैं अली अकबर खान के साथ संगत कर लूंगा। पृथ्वीराज कपूर ने लड़के को सोलो बजाने की इजाज़त दे दी। और फिर जो लड़के ने तबला बजाया, कि जिसने भी सुना वो सुनता रह गया। खूब तालियां बजी। पृथ्वीराज कपूर भी बहुत खुश हुए। उन्होंने ऐलान कर दिया कि अब से ये लड़का पृथ्वी थिएटर का अहम सदस्य होगा। उस लड़के का नाम था शंकर सिंह रघुवंशी। वही शंकर सिंह रघुवंशी जो आगे चलकर शंकर-जयकिशन की ज़बरदस्त संगीतकार जोड़ी में से एक थे।
शंकर सिंह की बात हो रही है तो ये बात भी होनी चाहिए कि जयकिशन संग उनकी जोड़ी कैसे बनी थी। तो हुआ कुछ यूं था कि जयकिशन दयाभाई पांचाल, गुजरात से मुंबई करियर बनाने के इरादे से आए थे। वो हारमोनियम के उस्ताद थे और संगीत उन्हें विरासत में मिला था। मुंबई आने के बाद जयकिशन ने एक फैक्ट्री में टाइमकीपर की नौकरी शुरू कर दी। नौकरी से मिलने वाले फुर्सत के वक्त में वो संगीत जगत में नाम बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। एक दफा गुजराती फिल्मों के उस वक्त के नामी डायरेक्टर चंद्रवर्दन भट्ट के ऑफिस के बाहर जयकिशन, शंकर से मिले।
बातों-बातों में जब शंकर को पता चला कि जयकिशन हारमोनियम बहुत अच्छा बजाते हैं तो शंकर ने इन्हें सलाह दी कि आप पृथ्वी थिएटर आ जाओ। वहां हारमोनियम बजाने वाले की ज़रूरत है। हो सकता है आपको वो नौकरी मिल जाए। शंकर के कहे मुताबिक जयकिशन पृथ्वी थिएटर गए और उन्हें वहां बतौर हारमोनियम नवाज़ रख लिया गया। अब आलम ये था कि पृथ्वी थिएटर के सभी नाटकों में शंकर तबला बजाते थे। और जयकिशन हारमोनियम बजाते थे। इन दोनों काम सबको अच्छा लगता था। एक दिन राज कपूर ने इन दोनों को नोटिस किया।
राज कपूर उन दिनों अपनी डायरेक्टोरियल डेब्यू आग पर काम शुरू करने जा रहे थे। उन्होंने शंकर जयकिशन को आग के म्यूज़िक डायरेक्टर राम गांगुली का सहयोगी बनने का ऑफर दिया। इन दोनों ने राम गांगुली की गाइडेंस में आग के म्यूज़िक पर काम किया। इस दौरान राज कपूर शंकर सिंह रघुवंशी से बड़े प्रभावित हुए। उन्हें शंकर का म्यूज़िक सेंस बहुत पसंद आता था। इसलिए जब राज कपूर ने अपनी नेक्स्ट फिल्म बरसात अनाउंस की तो उसमें म्यूज़िक कंपोज़ करने का काम उन्होंने शंकर सिंह रघुवंशी को दिया। और चूंकि शंकर सिंह रघुवंशी अब तक जयकिशन के बहुत अच्छे दोस्त बन चुके थे तो उन्होंने राज कपूर से गुज़ारिश की कि क्यों ना इस फिल्म से जयकिशन को भी जोड़ा जाए। क्योंकि उनकी ज़रूरत तो पड़नी ही है।
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तो साथियों, इस तरह फॉर्म हुई बॉलीवुड की एक बहुत स्पेशल और शानदार संगीतकार जोड़ी, शंकर ज़यकिशन की जोड़ी। बरसात का म्यूज़िक ज़बरदस्त हिट हुआ। शंकर-जयकिशन के कहने पर ही लता मंगेशकर ने बरसात में आठ गीतों में अपनी आवाज़ दी। और लता को भी बरसात के गीतों से बहुत लोकप्रियता मिली। शंकर-जयकिशन को नमन। खासतौर पर शंकर सिंह रघुवंशी को। क्योंकि आज उनकी पुण्यतिथि ह