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पहले डाला वोट फिर किया अंतिम संस्कार, पत्नी का शव छोड़कर बुजुर्ग पहुंचा बूथ पर

पत्नी के अंतिम संस्कार के बाद बेटी विनीता को भी वोट डालने के लिए भेजने की बात कही

दिबियापुर/औरैया। लोकतंत्र शायद इसलिए जिंदा है। पत्नी का शव सामने रखा और बुजुर्ग पति अंतिम संस्कार करने की जगह पहले मतदान केंद्र गया और वोट डाला। इसके बाद अंतिम संस्कार की तैयारी की। यह जिसने भी सुना और देखा वह यही कहते दिखे की ऐसे लोग ही लोकतंत्र के प्रहरी है।

यह वाक्या इटावा लोकसभा की दिबियापुर विधानसभा का है। यहां एक बुजुर्ग अपनी पत्नी के शव का दाह संस्कार करने से पहले अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए मतदान केंद्र पहुंच गए। संजय नगर निवासी 84 वर्षीय बुजुर्ग रामलखन की 78 वर्षीय पत्नी सरोज कुमारी का रविवार की शाम देहांत हो गया था। परिजनों एवं रिश्तेदारों के इकट्ठा न होने के कारण शाम को सरोज कुमारी का अंतिम संस्कार नहीं हो सका।

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सोमवार सुबह अंतिम संस्कार किए जाने की बात तय हुई। सुबह घर पर सभी अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही तभी रामलखन ने रिश्तेदारों को बताया कि वह वोट डालने जाएंगे। रिश्तेदारों ने पत्नी की अंत्येष्टि करने के बाद वोट डालने के लिए समझाया। लेकिन रामलखन ने पहले मतदान की बात कही। इसके बाद सुबह तकरीबन साढ़े आठ बजे उन्होंने दिबियापुर के प्राथमिक विद्यालय स्थित मतदान केंद्र पर अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसके बाद लगभग 11 बजे दिबियापुर के मुक्तिधाम में पहुंचकर पत्नी का अंतिम संस्कार किया।

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रामलखन ने बताया कि वह पत्नी और बेटी विनीता के साथ घर में रहते हैं। उन्होंने लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए यह कदम उठाया। पहले मतदान किया, इसके बाद पत्नी का अंतिम संस्कार किया। अंतिम संस्कार के बाद बेटी विनीता को भी वोट डालने के लिए भेज रहे हैं।

रिपोर्ट – संदीप राठौर चुनमुन

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