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गेनी बेन ने भाजपा को तीसरी क्लीन स्वीप से रोका, लोगों से चंदा लेकर लड़ा चुनाव

गुजरात में स्कोर 25-1 रहा। 25 सीटें भाजपा के हिस्से और एक कांग्रेस के। कांग्रेस की विधायक और लोगों से चंदा लेकर चुनाव लड़ने वाली गेनी बेन सेल्फ मेड नेता का मजबूत उदाहरण बनकर उभरी हैं। जीत छोटी है, बमुश्किल 34 हजार वोट की। दो लोकसभा चुनावों से क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा और मोदी-शाह के घर गुजरात में कांग्रेस को सीट मिली, यह हैरान हो जाने और कर देने का पूरा पक्का बंदोबस्त है। गुजरात में एक सीट गंवाना और केरल में भाजपा को एक मिलना एक बराबर है।

गुजरात मॉडल में क्रैक तभी लग गया था जब साबरकांठा और वडोदरा में उम्मीदवार का नाम घोषित करने के बाद उम्मीदवार बदलने पड़े थे। भाजपा के कई पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, पूर्व नेताओं ने टिकट बंटवारे को लेकर विरोध और विद्रोह दोनों किया। हुआ कुछ यूं कि कांग्रेस से भाजपा में जानेवाले नेताओं की भीड़ इतनी ज्यादा हो गई थी कि पार्टी के असल नेता नाराज होने लगे थे।

गुजरात में आदिवासियों की नाराजगी काफी ज्यादा थी। राज्य में 4.50 लाख वोट नोटा में गए हैं। सबसे ज्यादा दाहोद और छोटा उदयपुर सीट पर। ये दोनों ही आदिवासी सीटें हैं। माना जाता है कि नोटा पढ़े लिखों का ऑप्शन हैं, लेकिन गुजरात में भरपल्ले पढ़े-लिखे वाले शहरी गुजरातियों के बीच, आदिवासियों ने नोटा का इस्तेमाल किया है। राजकोट से जिस क्षत्रिय आंदोलन की शुरुआत हुई उसका जरा भी असर गुजरात में नहीं हुआ। जामनगर, सुरेंद्र, आणंद जैसे थोड़े ज्यादा क्षत्रिय वोटर वाले इलाकों में भी भाजपा ही जीती।

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