आर्थिक संकटों के बीच श्रीलंका में इस साल के अंत से पहले दो बड़े और अहम चुनाव होने हैं। यह चुनाव पूरे द्वीप राष्ट्र के लिए काफी अहम हैं। हाल ही में संपन्न राष्ट्रपति चुनावों के कुछ महीने बाद ये चुनाव देश की आगे की राह तय करेंगे।
दरअसल, नकदी की कमी से जूझ रहे देश में 21 सितंबर को राष्ट्रपति चुनाव हुए थे। अब 14 नवंबर को यहां संसदीय चुनाव होने हैं। तीसरा चुनाव दिसंबर में स्थानीय परिषद के चुनाव होंगे। इस बीच दक्षिणी प्रांत के एल्पीटिया स्थानीय परिषद के लिए निर्धारित एकमात्र चुनाव 26 अक्तूबर को होगा।
चुनाव आयोग ने जारी किया बयान
श्रीलंका के स्वतंत्र चुनाव आयोग ने बुधवार देर रात एक बयान जारी किया। उन्होंने इस बयान में कहा, “22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, संसदीय चुनाव के तुरंत बाद स्थानीय चुनाव कराने की व्यवस्था की जाएगी।”
आदेश के अनुसार, 340 स्थानीय परिषदों में चुनाव 14 नवंबर से 30-35 दिनों के बीच होने हैं। आसान शब्दों में कहा जाए तो यह दिसंबर के तीसरे सप्ताह में होगा। अदालत ने बताया कि स्थानीय परिषद का चुनाव नौ मार्च 2023 को होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ जो मौलिक अधिकारों का अल्लंघन है।
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तत्कालीन राष्ट्रपति और वित्त मंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने 2022 के आर्थिक संकट के बाद देश की खराब वित्तीय स्थिति को जिम्मेदार ठहराया। अदालत ने वित्त मंत्री रानिल विक्रमसिंघे को चुनाव कराने के लिए आवश्यक धन आवंटित नहीं करके अधिकारों के उल्लंघन का दोषी बताया है। तत्कालीन विपक्ष के नेताओं ने विक्रमसिंघे पर हार के डर से चुनाव न कराने का आरोप लगाया था।
अनुरा कुमार दिसानायके बनें श्रीलंका के नए राष्ट्रपति
बता दें कि 23 सितंबर को मार्क्सिस्ट जनता विमुक्ति पेरामुना पार्टी की आनुषंगिक इकाई नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के नेता अनुरा कुमार दिसानायके ने श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उन्होंने 24 सितंबर को संसद भंग करने का आदेश देने वाली विशेष गैजेट अधिसूचना पर हस्ताक्षर किया।