जब जॉर्जिया के सबसे अमीर व्यक्ति ने 12 साल पहले पहली बार राजनीति में कदम रखा था, तो उन्होंने काला सागर से लगते देश में लोकतंत्र लाकर यूरोप को चकित करने की कसम खाई थी। मगर, त्बिलिसी की सत्तारूढ़ पार्टी के अरबपति संस्थापक बिदजिना इवानिशविली ने वही किया जो कई आलोचकों का कहना है कि इसके बिल्कुल उलट है। यानी वह अपने राजनीतिक विरोधियों की शक्ति पर अंकुश लगाने के लिए देश को अंतरराष्ट्रीय अलगाव की स्थिति में ले गए।
इस महीने यूरोपीय संसद ने शक्तिशाली टाइकून के खिलाफ प्रतिबंधों की मांग की। साथ ही उन पर आरोप लगाया कि वह जॉर्जिया को पश्चिम से दूर रूस की ओर ले जाना चाहते हैं। इसलिए लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं। हालांकि, इसके बाद सबकी निगाहें संसदीय चुनाव पर टिक गई थी कि आखिर साल 2012 से सत्ता में मौजूद उनकी जॉर्जियाई ड्रीम पार्टी फिर से जीतती है या नहीं। देश के चुनाव आयोग के आंकड़ों के आधार पर, जॉर्जियाई ड्रीम ने बहुमत हासिल करने का एलान किया है। हालांकि, विपक्षी दलों ने परिणामों पर कड़ा विरोध जताया है। उनका दावा है कि चुनाव में धांधली हुई है।
गरीबी से लेकर अरबपति बनने तक का सफर
पश्चिमी जॉर्जिया के चोरविला गांव में गरीबी में जन्मे इवानिशविली ने 1990 के दशक में रूस में अपना भाग्य आजमाया। उन्होंने उस समय सोवियत संपत्तियों के निजीकरण के रूप में भारी संपत्ति कमाई की। फोर्ब्स पत्रिका की माने तो अब उनकी संपत्ति 4.9 अरब डॉलर है, जो जॉर्जिया के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग छठा हिस्सा है। इतना ही नहीं उनके पास जॉर्जिया और फ्रांस दोनों देशों की नागरिकता है।
12 साल पहले बने थे पहली बार पीएम
साल 2012 में अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बनाने के बाद वे जॉर्जिया के प्रधानमंत्री बने। आधिकारिक तौर पर राजनीति से सेवानिवृत्त होने से पहले वे महज एक साल से अधिक समय तक सेवा करते रहे। इसके बाद साल 2023 में वे जॉर्जियाई ड्रीम के मानद अध्यक्ष बनने के लिए वापस लौटे और एक किंगमेकर की भूमिका निभाई। शुरू में उदारवादी समर्थक पश्चिमी एजेंडे को आगे बढ़ाने के बाद, उनकी पार्टी ने पिछले दो सालों में अपने पश्चिमी विरोधी और उदारवादी विरोधी रुख को और तेज कर दिया है।