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वार्ड में पांच जगह लगी थी आग, चार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर फटने से नहीं मिला बचने का मौका

झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की एसएनसीयू 10 मिनट में यूं ही राख नहीं हुई। इसके अंदर करीब पांच जगह से आग लगी। हादसे में झुलसीं नर्स मेघा जेम्स के अनुसार, चार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर तेजी से फटे। यही वजह रही 10 नवजात शिशुओं की जान बचाने का मौका नहीं मिला।

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नर्स मेघा जेम्स ने बताया एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट) की रात 8 बजे ड्यूटी बदली थी। अंदर के कमरे में भर्ती करीब 25 नवजातों के डायपर्स और मोलिना (प्लास्टिक सीट) बदले गए थे और यह जमीन पर पड़े थे। एक शिशु की तबीयत बिगड़ने लगी तो डॉ मेघा नेगी (Dr. Megha Negi) पहुंचीं।

वार्ड में पांच जगह लगी थी आग, चार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर फटने से नहीं मिला बचने का मौका

उन्हें सिरिंज देते समय देखा की शाॅर्ट सर्किट से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की पाइप में आग लग गई है। उसने तुरंत बटन बंद करके कंसंट्रेटर की प्लास्टिक पाइप खींच दी। इससे जलती प्लास्टिक के अंगारे चार-पांच जगह गिरे और वहां भी आग लग गई। आग बुझाने का प्रयास करने पर प्लास्टिक की चप्पल ने आग पकड़ ली। इस बीच दूसरे ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ने भी आग पकड़ ली। इस दौरान कपड़ों में आग लग गई।

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जमीन पर पड़ी मोलिना भी तेजी से जलने लगी। शोर मचाते हुए सभी ने शिशुओं को बाहर निकालना शुरू कर दिया लेकिन तब तक दोनों कमरों में धुआं भर गया। इसी दौरान बिजली आपूर्ति बंद होने से अंंधेरा हो गया। आग की लपटों और धुएं की वजह से एक कोने में रखे क्रेडल से शिशुओं को उठाने का प्रयास किया मगर सफलता नहीं मिली। आग की वजह से चार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर तेज आवाज के साथ फटे।

मंडलायुक्त ने भेजी जांच रिपोर्ट, कहा- प्लग में हुई स्पार्किंग से वार्ड में लगी थी आग

मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू में आग लगने की शुरुआत एक प्लग में हुई स्पार्किंग के बाद हुई थी। मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे की ओर शासन को भेजी गई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में तीमारदार और स्टाफ के 18 लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने मंडलायुक्त को घटना की जांच कर 12 घंटे के भीतर रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे।

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परिजनों के खाते में भेजे पांच-पांच लाख

शासन की ओर से मृत व घायल नवजातों के परिजन को सहायता राशि भी उपलब्ध कराई है। नौ मृत बच्चों के परिजन के खाते में रविवार को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता राशि भेजी गई। एक मृत बच्चे के परिजन का बैंक खाता खुलने के बाद उसे सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा घायल बच्चों के परिजन को 50-50 हजार रुपये की सहायता दी गई।

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