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ये हैं देश के सबसे मशहूर गुरुद्वारे, धार्मिक के साथ रखते हैं ऐतिहासिक महत्व

गुरु नानक देव की जयंती हर साल कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस बार गुरु नानक की जयंती 15 नवंबर 2024 को मनाई जा रही है। गुरु नानक देव सिख धर्म के पहले गुरु हैं। उन्होंने “एक ओंकार” का उपदेश दिया यानी ईश्वर एक है और हर जगह मौजूद है। सिख धर्म में 10 गुरु हुए। सभी ने जगह-जगह जाकर एकता का पाठ पढ़ाया। ऐसे में भारत जैसे देश में जहां कई धार्मिक स्थल मौजूद हैं, वहां सिख धर्म से जुड़े कई मशहूर और ऐतिहासिक गुरुद्वारे भी हैं। इन गुरुद्वारों का नाता सिख धर्म के गुरुओं से हैं। साथ ही कुछ का स्वतंत्रता संग्राम में भी विशेष योगदान रहा।

गुरु नानक देव की जयंती के मौके पर धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखने वाले इन प्रसिद्ध गुरुद्वारों के बारे में जानें। कोई आपके शहर में या आसपास हो तो वहीं एक बार मत्था टेकने भी जा सकते हैं।

स्वर्ण मंदिर (गुरुद्वारा हरमंदिर साहिब)

पंजाब के अमृतसर में देश का सबसे बड़ा और मशहूर गुरुद्वारा हरमंदिर साहिब स्थित है, जिसे स्वर्ण मंदिर भी कहते हैं। ये सिख धर्म का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। गुरु अर्जन ने 1855 में इस गुरुद्वारे की नींव रखी और 1604 में यहां आदि ग्रंथ रखा गया। गुरुद्वारे की सुरक्षा के लिए महाराजा रणजीत सिंह ने सोने की चादर से मंदिर के बाहरी हिस्से को कवर करा दिया। स्वर्ण मंदिर का पवित्र सरोवर, असीम शांति और लंगर सेवा श्रद्धालुओं को आध्यात्मिकता का अद्वितीय अनुभव प्रदान कराता है।

गुरुद्वारा बंगला साहिब

राजधानी दिल्ली के कनॉट प्लेस में गुरुद्वारा बंगला साहिब बना हुआ है जो कि सिख समुदाय का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह गुरु हरकृष्ण जी की याद में बनाया गया था, जो दिल्ली में महामारी के समय लोगों की सेवा करते हुए अपने जीवन का बलिदान दे गए थे। गुरुद्वारा में सोने का गुबंद लगा है। गुरुद्वारे के प्रांगण में स्थित तालाब के पानी को अमृत के समान पवित्र माना जाता है।

गुरुद्वारा पटना साहिब

बिहार की राजधानी पटना में गुरुद्वारा पटना साहिब है। यह गुरुद्वारा सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह का जन्मस्थान है। पटना साहिब सिख समुदाय के पांच प्रमुख तख्तों में से एक है। इस गुरुद्वारे में गुरु गोविंद सिंंह की कई यादगार वस्तुएं संग्रहित की गई हैं। हर साल बड़ी संख्या में लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।

गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब

दिल्ली में ही रायसीना रोड पर रकाबगंज साहिब गुरुद्वारा बना है, जो कि सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर के बलिदान की याद दिलाता है। गुरु तेग बहादुर की शहीदी के बाद उनके अनुयायियों ने उनका अंतिम संस्कार इसी स्थान पर किया। इस गुरुद्वारे का ऐतिहासिक महत्व है। ये गुरुद्वारा भारतीय स्वतंता संग्राम का भी साक्षी रहा है।

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