नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि कोरोना महामारी एक ऐसी आपदा थी, जैसे पहले कभी नहीं देखी गई और टीकाकरण ने लाखों लोगों की जान बचाई। सरकार ने यह जवाब तब दिया, जब जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पी.बी. वराले की पीठ दो लड़कियों की कथित रूप से टीकाकरण से मौत को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी पेश हुए। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी एक अभूतपूर्व आपदा थी। इस पर लड़कियों के परिजनों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कोलिन गोंसाल्विस ने जवाब दिया, हम इसका विरोध नहीं कर रहे हैं। हम विवाद नहीं कर रहे हैं।
याचिका दोनों लड़कियों (18 वर्षीय और 20 वर्षीय) के परिजनों की ओर से दायर की गई है। उनका कहना है कि कोविशील्ड टीके की पहली डोज लेने के बाद लड़कियों को गंभीर प्रतिकूल प्रभावों (एईएफआई) का सामना करना पड़ा।
टीकाकरण ने बचाई लोगों की जान: एएसजी ऐश्वर्या भाटी
भाटी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कोविड टीकाकरण के पहलुओं को समग्र रूप से देखा था और एईएफआई फैसला दिया था। उन्होंने कहा, अंत में यह संतुलन का सवाल है। कोरोना महामारी एक अभूतपूर्व आपदा थी और टीकाकरण ने महामारी के दौरान जीवन बचाए हैं। हमारे पास एक मजबूत नियामक तंत्र है।
मामला टीकाकरण से प्रतिकूल प्रभावों को लेकर है: वरिष्ठ वकील गोंसाल्विस
गोंसाल्विस ने कहा कि दोनों याचिकाकर्ताओं ने टीकाकरण के बाद अपनी बेटियों को खो दिया। इसके जवाब में पीठ ने कहा, कोर्ट ने इसे माना है, अब हमें इसे निपटाना होगा। इसके बाद भाटी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2022 में इस याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था और सरकार का जवाबी हलफनामा रिकॉर्ड पर है।
हालांकि, गोंसाल्विस ने कहा कि यह मामला टीकाकरण से जुड़े नुकसान का है, जिसमें उपचार के उपायों का खुलासा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने एक आवेदन दायर किया था, जिसमें सरकार से टीके के प्रतिकूल प्रभावों और उनके उपचार की जानकारी देने की मांग की गई थी।