आज धूमधाम से विश्वकर्मा जयंती मनाई जा रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विश्वकर्मा (Lord Vishwakarma) ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें पुत्र के रूप में जन्म लिया था। भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। इसलिए सनातन धर्म में विश्वकर्मा जयंती को खास महत्व दिया गया है।
इस दिन लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। विशेष तौर पर इस दिन औजारों, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनों, दुकानों, कारखानों आदि की पूजा की जाती है।भगवान् विश्वकर्मा से प्रार्थना की जाती है। उन्नति का मार्ग प्रशस्त करें।
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सभी यंत्रों, वाहनों, मशीनों, औजारों कारखानों को विधिवत रूप से साफ सफाई कर लिया जाता है। विश्वकर्मा जी को यंत्रों का देवता भी माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से कारोबार में आ रही बाधाएं व परेशानियां भी दूर हो जाती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान् विश्वकर्मा के अनुकम्पा से व्यापार में वृद्धि होती है।
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आज विश्वकर्मा पूजा का त्यौहार मनाया जा रहा है। इस दिन मशीन, वाहन, यंत्र और कारखाना की पूजा आराधना की जाती है। भगवान विश्वकर्मा की अनुकम्पा से कारखाने मे लगी मशीनें खराब नहीं होती है और कार्य मे उन्नति होती है।
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भगवान विश्वकर्मा पूजा के दिन विधि विधान के साथ उनकी पूजा आराधना करने से कार्य क्षेत्र में सफलता मिलती है। इस दिन सबसे पहले स्नान आदि कर पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करके उसे शुद्ध करना चाहिए। इसके बाद चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और लाल रंग के कुमकुम से एक स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। इस दौरान भगवान गणेश का स्मरण करें और फिर शोडॉपउपचार विधि से पूजा करें।
इस विधि से पूजा करने से भगवान विश्वकर्मा प्रशन्न होते हैं। भगवान विश्वकर्मा की विधिवत पूजा करने के लिए इन सामग्रियों का होना आवश्यक है। पूजन सामग्री में सुपारी, पीला अश्वगंधा, हल्दी, रोली, लॉन्ग, लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, मौली, नवग्रह, जनेऊ, मिट्टी का कलश, इलायची, सूखा गोला, इत्र, जटा वाला नारियल, अक्षत,फल, मिठाई, धूपबत्ती, कपूर, देसी, घी, हवन कुंड, दही, फूल, आम की लकड़ी और खीरा आदि होना चाहिए।
रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह