हाथरस। बिटिया के पिता ने गत दो जुलाई को राहुल गांधी को तीन पेज का पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था कि वह और उनका परिवार चार साल से घर में रहकर जेल जैसी सजा काट रहे हैं। सरकार ने परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने और घर देने का वादा किया था, लेकिन यह पूरा नहीं किया। माना जा रहा है कि इसी पत्र के मिलने के बाद राहुल गांधी बृहस्पतिवार को हाथरस में बिटिया के घर पहुंचे।
अवशेष देख भड़के गौ भक्त, मथुरा-वृंदावन मार्ग जाम; पुलिस ने लाठीचार्ज कर खदेड़ा
इस पत्र को कांग्रेस ने अपने एक्स एकाउंट पर भी पोस्ट किया था। इसकी शुरुआत राहुल गांधी को प्रणाम करते हुए पत्र को गहराई से पढ़ने के आग्रह के साथ की गई। इसके बाद 14 सितंबर 2020 को हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह बहुत ही भयानक थी। मेरी बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ और उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई, जीभ काट दी गई। 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी। शासन-प्रशासन ने मेरे परिवार की अनुमति के बिना उसके शव को रात के अंधेरे में 2.30 बजे केरोसिन डालकर जला दिया था। आज तक मुझे व मेरे परिवार को यह तक नहीं पता कि बॉडी किसकी जला दी गई थी।
इस केस की सीबीआई जांच हुई थी, इसमें चारों आरोपी दोषी थे। जांच होने से पहले बेटी ने मृत्यु पूर्ण बयान में चारों के नाम लिए थे। मेरी बेटी का समय से मेडिकल तक नहीं कराया गया था। सीबीआई की चार्जशीट में सभी दोषी होने के बाद भी ट्रायल कोर्ट ने तीन आरोपियों को बिल्कुल बरी कर दिया गया और एक आरोपी को केवल सजा सुनाई है।
उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय लखनऊ ने 26 जुलाई 2022 को नौकरी और घर देने के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार को एक आदेश पारित किया था, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश का भी तक पालन नहीं किया है। वर्ष 2020 में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सीआरपीएफ की एक कंपनी हमारे पीड़ित परिवार की सुरक्षा में घर पर सीआरपीएफ लगी हुई है। हमारा पूरा परिवार सीआरपीए की कड़ी सुरक्षा में कैद वाली जिंदगी जी रहा है। न कोई रोजगार है और न कोई रोजगार के लिए बाहर जा पा रहा है। घर में तीन बेटियां हैं, जो कि इनकी पढ़ाई लिखाई तक नहीं हो पा रही है। पढ़ाने के लिए कोई भी टीचर जिम्मेदारी नहीं ले रहा है।