‘ध्यान’ यानी एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें मन एकदम एकाग्रचित्त हो व शून्य में केंद्रित हो। इसे करने से न केवल इन्द्रियां व चक्र जाग्रत होते हैं बल्कि इंसान खुद की इच्छाओं ववासनाओं पर काबू करना भी सीखता है। यह लोगों को खुद से जोड़ना सिखाता है। आजकल की आपाधापी भरी जिंदगी में ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है जो कुछ सुकून देती है। लेकिन ध्यान करते वक्त कई बार ऐसे दशा भी बनते हैं जब आपको तुरंत ध्यान करना छोड़ देना चाहिए। आइए जानते हैं किन परिस्थितियों में तुरंत छोड़ें ध्यान करना:कई बार ऐसा होता है कि बार-बार ध्यान करने की प्रयास करने के बावजूद भी आपका मन उसमें नहीं लगता है। इस स्थिति में ध्यान नहीं करना चाहिए। थोड़े समय के लिए इसे छोड़ देना ही उचित रहता है।
क्या आपका मन भी ध्यान करते वक्त इधर उधर भटकता है? कई लोग ऐसे होते हैं जिनका मन ध्यान करते समय बहुत सी बातों में लगा रहता है कार्यालय में बॉस से हुई किचकिच, पड़ोसी की चुगली, सहकर्मी की ड्रेस, शॉपिंग ऐसी तमाम चीजें होती हैं जो ध्यान लगाते समय भी मन में घूमती रहें तो ध्यान नहीं करना चाहिए।
आज कल की बिजी लाइफस्टाइल में कई लोग खाने व परिवार तक के लिए वक्त नहीं निकाल पाते हैं। ऐसी स्थिति में उनका ‘ध्यान’ करना महज एक कोरम पूरा करना होता है। जब तक आप सारे मन से ध्यान न करना चाहें मेडिटेशन न करें।