बदलते माैसम में अक्सर बच्चे प्रातः काल उठते ही या सोते हुए आकस्मित तेज-तेज खांसने लगते हैं. यह खांसी उन्हें कई बार इतनी तेज होती है कि वे रोने तक लगते हैं व सोते समय उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है. इसका कारण श्वासनली से जुड़ा संक्रमण है जो बार-बार ली जाने वाली एंटीबायोटिक्स से कम हुई रोग प्रतिरोधक क्षमता से होता है. इसके अतिरिक्तसर्द हवाओं के ज्यादा सम्पर्क में रहने या ठंडा पानी पीने से श्वासनली सिकुड़ जाती है. आयुर्वेद में अडू़सा, हल्दी, अजवाइन, तुलसी, अदरक, छोटी पिप्पली जैसी कई जड़ी-बूटियां इम्यूनिटी बढ़ाकर नलियों की सिकुड़न दूर कर कफ बाहर निकालती हैं.अाइए जानते हैं आयुर्वेदिक नुस्खाें के बारे में :-
आयुर्वेदिक नुस्खे
– एक वर्ष तक के बच्चे को शितोप्लाधी चूर्ण की आधा चम्मच मात्रा में थोड़ा शहद मिलाएं. इस मिलावट को चाटने से भी लाभ होता है.
– एक कप पानी में अड़ूसा के कुछ पत्ते उबालें. पानी के आधा रहने पर थोड़ा गुड़ मिलाकर काढ़े के रूप में गुनगुना शिशु को पिलाने से कफ दूर होगा.
– थोड़े गुड़ में एक चौथाई हल्दी पाउडर मिलाकर गोलियां बना लें. बच्चों को सुबह-शाम दो-दो गोली खिलाकर ऊपर से दूध पिला दें.
– जिन बच्चों को रात में आकस्मित खांसी की परेशानी हो, उन्हें एक लौंग चूसने और धीरे-धीरे खाने के लिए दें. यह तुरंत प्रभाव कर खांसी दूर करेगी. 3-4 साल से कम आयु के बच्चों को लौंग न दें वर्ना गले में अटक सकती है.
– आधा गिलास पानी में दो चुटकी अजवाइन और हल्दी, 2-3 तुलसी के पत्ते, एक कालीमिर्च और अदरक का टुकड़ा उबालकर थोड़ा गुड़ मिलाकर गुनगुना पीएं. श्वासनली की सिकुड़न दूर होगी.
– तुलसी, अदरक व शहद से बनी लवंगादि वटि, व्योष्यादि वटि व खदीरादिवटि को दिन में 3-4 बार देने से श्वांसनलियों में राहत होती है. खांसी के उपचार के लिए खासतौर पर इसे प्रयोग में लेते हैं.