देश में पहली बार प्राकृतिक स्ट्रॉ का प्लांट चाचा-भतीजे ने मिलकर लगाया गया है। ये स्ट्रॉ गेंहू के तने से तैयार किए गए हैं, जो पूरी तरह इको फ्रेंडली हैं। 1200 करोड़ के स्ट्रॉ बाजार में इस ‘नेचुरल स्ट्रॉ’ को हाथोंहाथ लिया जा रहा है। प्लास्टिक मुक्त अभियान के तहत अब प्लास्टिक से बने स्ट्रॉ को भी छोड़ने का समय आ गया है।
गेंहू की बाली कटने के बाद खेत में खड़े तने भूसे में चले जाते हैं। किसानों को इनकी कीमत न के बराबर मिलती है। अब यही तने बेहद काम के हो गए हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के सलाहकार वाईएस गर्ग ने अपने भतीजे हर्ष चंद्र अग्रवाल के साथ मुरादाबाद में ऐसा प्लांट लगाया है, जहां प्लास्टिक के बजाय गेहूं के तने से स्ट्रा तैयार किए जा रहे हैं। हर्ष चंद्र अग्रवाल ने बताया कि वह काफी समय से प्राकृतिक स्ट्रा का विकल्प खोज रहे थे।
पहले पपीते की टहनी पर ट्रायल किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। पेपर स्ट्रॉ पर काम किया, लेकिन पानी में वह अधिक देर तक नहीं ठहर पा रहा था। फिर गेहूं की बाली के नीचे तने पर ध्यान गया, जो बीच में खोखला होता है। गेहूं के स्ट्रॉ को दो दिन पानी में छोड़ दें, तब भी सेहत पर असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने बांस का भी स्ट्रॉ तैयार किया है। इस एक स्ट्रॉ की कीमत 12 रुपए है। इस स्ट्रा को दो साल तक बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके साथ क्लीनिंग ब्रश भी बनाया है।