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धारा 370 पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली, दायर होगी दोबारा याचिका 

अनुच्छेद 370 को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस दौरान याचिकाकर्ता एमएल शर्मा को फटकरा लगाई और दोबारा याचिका दायर करने को कहा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी। अगर याचिकाकर्ता सुधार कर दोबारा याचिका दायर करते हैं तो इसपर सुनवाई अब अगले हफ्ते हो सकती है। धारा 370 पर कुल 7 याचिकाएं दायर की गई थीं। इसमें से 4 याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट ने कामियां पाईं। एमएल शर्मा की याचिका में अनुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध किया गया। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने आर्टिकल 370 हटाकर मनमानी की है, उसने संसदीय रास्ता नहीं अपनाया, राष्ट्रपति का आदेश असंवैधानिक है।


एमल शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजीआई ने फटकार लगाते हुए कहा कि ये किस तरह की याचिका है। मुझे समझ नहीं आ रही है, उन्होंने पूछा कि याचिकाकर्ता कैसी राहत चाहते हैं। एमल शर्मा की याचिका पर सीजीआई ने क्या कहा कि आपने डिफेक्ट बुधवार को सही किया है। CJI ने पूछा कि कितनी ऐसी याचिकाएं हैं जो जम्मू-कश्मीर को लेकर दाखिल की गई हैं। इसपर जवाब दिया गया कि 6 याचिकाएं दाखिल हुई है, लेकिन 4 याचिकाएं अभी भी डिफेक्ट में है। बाकी बची 2 याचिकाओं में डिफेक्ट दुरुस्त नहीं हुआ है। इस जवाब पर CJI ने नाराजगी भरे अंदाज में कहा कि इस इतने गंभीर मामले में भी लोग बिना सोचे समझे डिफेक्टिव याचिका दाखिल कर रहे हैं। CJI ने कहा कि हमने सुबह पेपर में पढ़ा है कि लैंडलाइन सर्विस शुरू ही गई हैं।

सीजीआई ने एमएल शर्मा से पूछा कि आपकी याचिका क्या है? डिटेल बताने पर चीफ जस्टिस बोले कि आपकी याचिका टेक्निकल ग्राउंड पर खारिज हो जाएगी। इस तरह के मामले में आप ऐसी याचिका क्यों दाखिल करते हैं। इस मामले में 7 याचिका दाखिल हुई है वो डिफेक्ट में है। अगर आपकी याचिका खारिज होती है तो दूसरी याचिकाओं पर प्रभाव पड़ेगा। सीजीआई ने कहा कि आप याचिका को वापस लें और संशोधित याचिका दाखिल करें। वहीं एक और याचिका कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन ने दायर की। इस याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद पत्रकारों पर लगाए गए नियंत्रण खत्म किए जाएं।

आपको बता दें कि 5 अगस्त को मोदी सरकार ने जब ये फैसला लिया और जिस तरह दोनों सदनों से ये बिल पास हुआ, उस पर तभी से सवाल खड़े हो रहे हैं। कांग्रेस समेत विपक्ष की कुछ पार्टियों ने इस बिल और तरीके को गैरसंवैधानिक बताया है, साथ ही दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट में ये बिल आदेश नहीं टिकेगा। हालांकि, कुछ संविधान विशेषज्ञों ने इस फैसले को सही भी बताया है। गौरतलब है कि अभी भी जम्मू-कश्मीर में धारा 144 लागू है, स्कूल-कॉलेज, मोबाइल इंटरनेट, मोबाइल कॉलिंग बंद है। टीवी-केबिल पर भी रोक लगी हुई है।इस बीच कई नेताओं जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, सज्जाद लोन शामिल हैं उन्हें नज़रबंद किया गया है। इसी को लेकर कई राजनीतिक दल मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं।

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