अफगान तालिबान ने अपने संगठन के 11 लोगों की रिहाई के बदले में तीन भारतीय इंजीनियरों को रिहा कर दिया। उन्हें पिछले करीब एक साल से तालिबान ने बंधक बनाकर रखा था। तालिबान अधिकारियों के अनुसार, लोगों की अदला-बदली रविवार सुबह हुई। अफगानिस्तान के बगराम में अमेरिका के नियंत्रण में उच्च सुरक्षा वाले जेल से तालिबान के सदस्यों को निकालकर उत्तरी बगलान प्रांत में तालिबान नेताओं को सौंपा गया। रिहा किए गए तीन भारतीय उन सात इंजीनियर्स के समूह में से एक थे, जिनका तालिबान आतंकी मुल्ला यूनुस ने उत्तरी अफगानिस्तान से मई में अपहरण किया था। इन भारतीयों के साथ उनके ड्राइवर को भी बंधक बना लिया गया था।
रिहा किए गए तीनों भारतीय इंजीनियर्स के नाम का खुलासा अभी नहीं किया गया है। तालिबान ने भी कभी औपचारिक रूप से भारतीयों के अपहरण की जिम्मेदारी नहीं ली थी। हालांकि, उनकी रिहाई से यह बात साबित होती है कि इन इंजीनियर्स को आंतकी संगठन ने बंधक बनाकर रखा था। इनके बदले में छोड़े गए तालिबान के सदस्यों में शेख अब्दुल रहीम और मौलवी राशिद शामिल हैं, जो संगठन के शासन के दौरान कुनार और निमरोज प्रांत के गवर्नर हुआ करते थे। इसके अलावा तालिबान के डिप्टी चीफ सिराजुद्दीन हक्कानी का भतीजा अजीज उर रहमान उर्फ एहसानुल्लाह को भी रिहा किया गया है।
भारत सरकार अभी इस बारे में कोई टिप्पणी करने से बच रही है। हालांकि, सूत्रों ने पुष्टि की है कि इस बात से मजबूत संकेत हैं कि भारतीय इंजीनियर्स को रिहा कर दिया गया है। सूत्रों ने बताया कि जिन सात भारतीयों को गिरफ्तार किया गया था, उनमें से ज्यादातर झारखंड के रहने वाले थे और मुंबई की केईसी इंटरनेशनल लिमिटेड के लिए काम करते थे। अफगान तालिबान ने भारतीय इंजीनियर्स को रिहा करने के बादले में काफी ज्यादा फिरौती चुकाने के लिए कहा था। हालांकि, केईसी ने भुगतान करने से इनकार कर दिया था। बताते चलें कि यह कंपनी दुनिया के कई देशों में बुनियादी ढांचे और निर्माण के काम में शामिल है।
करीब एक साल से तालिबान के कब्जे में थे भारतीय इंजीनियर।