इस मिसाइल प्रणाली को डीआरडीओ ने अरिहंत श्रेणी की परमाणु पनडुब्बियों के लिए विकसित किया जा रहा है जिसे कि हिंदुस्तान द्वारा बनाया जा रहा है. यह पनडुब्बियां भारत के परमाणु परीक्षण का मुख्य आधार होंगी.
सरकारी सूत्रों का बोलना है, ‘योजना के अनुसार डीआरडीओ शुक्रवार को विशाखापट्टनम तट से पानी के नीचे से के-4 परमाणु मिसाइल का परीक्षण करेगा. ट्रायल के दौरान डीआरडीओ मिसाइल प्रणाली में उन्नत प्रणालियों का परीक्षण करेगा.‘
के-4 पानी के अंदर चलाई जाने वाली ऐसी दो मिसाइले हैं जिन्हें कि विकसित किया जा रहा है. दूसरी मिसाइल का नाम बीओ-5 है जिसकी मारक क्षमता लगभग 700 किलोमीटर है. यह वैसे साफ नहीं है कि डीआरडीओ मिसाइल का परीक्षण छोटी या लंबी दूरी पर करेगा.
हालांकि हिंदुस्तान द्वारा लंबी दूरी की मिसाइल परीक्षण के लिए समुद्री चेतावनी व नोटम (नोटिस टू एयरमैन) पहले ही जारी की जा चुकी हैं. के-4 मिसाइल परीक्षण की योजना पिछले महीने बनाई गई था लेकिन इसे फिर स्थगित कर दिया गया. आने वाले हफ्तों में डीआरडीओ की योजना है कि वह अग्नि-3 व ब्रह्मोस मिसाइलों का परीक्षण करे.
सरकारी सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की कि के-प का परीक्षण पानी के अंदर नाव के पुल पर किया जाएगा क्योंकि यह परीक्षण स्तर पर है. एक बार यह तैनाती के लिए तैयार हो जाए तो पनडुब्बी से इसे लॉन्च किया जाएगा.