Breaking News

Tulsi Vivah: तुलसी जी लेती है शालिग्राम संग सात फेरे, जानिए शुभ मुहूर्त…

सनातन संस्कृति में तुलसी के पौधे को देवतुल्य माना गया है। मान्यता है कि तुलसी के पौधे की पूजा करने से दुखों और संताप का नाश होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है इसलिए कुछ विशेष दिनों को छोड़कर रोजाना तुलसी पूजा का शास्त्रों में विधान बताया गया है। इसके साथ ही जब भगवान विष्णु चार महीने यानी चातुर्मास की योगनिद्रा से जागते हैं तब देवउठनी एकादशी के दिन शालिग्राम का तुलसीजी से विवाह किया जाता है। शालिग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। इस दिन तुलसी को लाल वस्त्र के साथ श्रंगार सामग्री समर्पित की जाती है और उनका कन्यादान किया जाता है। तुलसी जी और शालिग्राम का परिणय संस्कार हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ शास्त्रोक्त विधि से संपन्न किया जाता है। इस साल देवउठनी एकादशी 8 नवंबर को है। इसलिए कुछ श्रद्धालु तुलसी विवाह 8 नवंबर को तो कुछ 9 नवंबर को इसका आयोजन करेंगे।

देवउठनी एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त

देवउठनी एकादशी-
एकादशी तिथि प्रारंभ- 7 नवंबर 2019 को सुबह 9 बजकर 55 मिनट से

एकादशी तिथि का समापन- 8 नवंबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट पर

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त-
द्वादशी तिथि का प्रारंभ- 8 नवंबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से

द्वादशी तिथि का समापन- 9 नवंबर दोपहर 2 बजकर 39 मिनट पर

तुलसी विवाह पूजा विधि-
जिस दिन तुलसी विवाह का आयोजन करना है उस दिन सूर्योदय के पहले उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। उसके बाद इस दिन व्रत का संकल्प लें। विवाह समारोह के दौरान तुलसी तो दुल्हन की तरह लाल चुनरी ओढ़ाई जाती है। इसके बाद श्रंगार की सारी सामग्री समर्पित की जाती है। वर शालिग्राम को तुलसी के समीप स्थापित किया जाता है। दोनों वर-वधु को साथ-साथ रखकर पंडित शास्त्रोक्त विधान से विवाह को प्रारंभ करते हैं। अग्नि को साक्षी मानकर तुलसी के पौधे और शालिग्राम के सात फेरे करवाए जाते हैं। उसके बाद उपस्थित सभी मेहमान अपनी श्रद्धानुसार तुलसी का कन्यादान करते हैं। विवाह समारोह में कुछ लोग ढोल और बाजे के साथ दोनों का जुलूस भी निकालते हैं।

About Samar Saleel

Check Also

आज का राशिफल: 23 नवंबर 2024

मेष राशि: आज का दिन आपके लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा। आप अपने पुराने कार्यों ...