पाकिस्तान के एक वकील ने पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की मौत की सजा रद्द करने के उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। इस्लामाबाद की एक विशेष अदालत ने पिछले साल 17 दिसंबर को मुशर्रफ के खिलाफ छह साल तक चले देशद्रोह के गंभीर मामले में उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनायी थी।
पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ नीत पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज (पीएमएल-एन) सरकार ने नवंबर 2007 में असंवैधानिक तरीके से आपातकाल लगाने को लेकर पूर्व सैन्य प्रमुख के खिलाफ 2013 में देशद्रोह का मामला दर्ज किया था। इस आपातकाल के चलते शीर्ष अदालत के कई न्यायाधीशों को उनके घर में कैद होना पड़ा था और 100 से अधिक न्यायाधीशों को पद से हटा दिया था।
देशद्रोह के गंभीर मामले में मुशर्रफ के खिलाफ चले मुकदमे को लाहौर उच्च न्यायालय ने 13 जनवरी को “असंवैधानिक” घोषित कर दिया था जिससे पूर्व राष्ट्रपति को सुनाई गई मौत की सजा निरस्त हो गई थी। एक रिपोर्ट ने मंगलवार को खबर दी कि सोमवार को दायर अपील में, याचिकाकर्ता वकील तौफिक आसिफ का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील हामिद खान ने लाहौर उच्च न्यायालय के फैसले को अवैध घोषित कर इसे निरस्त करने का अनुरोध किया। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में संविधान के अनुच्छेद छह को असल में अवैध एवं अप्रभावी करार दिया जिसका पाकिस्तान के संवैधानिक इतिहास में विशेष महत्व है।