आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने शुक्रवार को कहा कि सरकार को अर्थव्यवस्था के लिये कंपनी कर में कटौती से भी आगे बढ़कर काम करने और अर्थव्यवस्था के लिये ठोस राजकोषीय प्रोत्साहन उपलब्ध कराने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि व्यापार में राजकोषीय सूझ-बूझ होनी चाहिए लेकिन मौजूदा समय में एक ऐसी राजकोषीय नीति की भी जरूरत है जिससे नरमी से निपटने में मदद मिले.
बिड़ला ने मीडिया के एक कार्यक्रम में कहा, ‘मैं पहले ही कह रहा हूं कि अर्थशास्त्री नहीं हूं लेकिन मुझे लगता है कि हम रसातल के करीब पहुंच गये हैं… अभी अर्थव्यवस्था के लिये सरकार की तरफ से बड़े स्तर पर रोजकोषीय प्रोत्साहन देने की जरूरत है. वैसे भी राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन कानून (एफआरबीएम) राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में आधे प्रतिशत तक की ढील की छूट देता है.’
रिजर्व बैंक ने गुरुवार को कमजोर घरेलू और विदेशी मांग को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.1 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया. उन्होंने कहा कि सरकार को कंपनी कर में कटौती के अलावा और बहुत कुछ करने की जरूरत है.
बता दें, सरकार ने छूट का दावा नहीं करने वाली कंपनियों के लिये मूल कंपनी कर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया. वहीं विनिर्माण क्षेत्र की नई कंपनियों लिये कर की दर 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके अलावा सरकार ने कारोबार सुगम बनाने तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने को लेकर भी कदम उठाये हैं. साथ ही बैंको को मजबूत बनाने के लिये 10 बैंकों का चार बैंकों में विलय किया गया.
बिड़ला ने कहा, ‘कर कटौती का हमेशा स्वागत है. अगर सरकार हमें हमें और कर छूट देने का निर्णय करती है, वह स्वागत योग्य होगा. इससे हमारा नकद प्रवाह बढ़ेगा. सरकार ने काफी कुछ किया है. मैं इससे इनकार नहीं करता. लेकिन वह बड़े स्तर पर राजकोषीय प्रोत्साहन भी दे सकती है.’