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सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही की चल-अचल संपत्तियों की खुली सतर्कता जांच के लिए प्रशासनिक सुधार विभाग को चाहिए एक्टिविस्ट उर्वशी शर्मा का शपथ पत्र

लखनऊ। पारदर्शिता के कानून यानि कि आरटीआई एक्ट 2005 को मजबूती से लागू कराने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर लम्बे समय से क्रियाशील पंजीकृत सामाजिक संगठन सूचना का अधिकार बचाओ अभियान (सीपीआरआई) के 8 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा बीते नवम्बर महीने में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से भेंटवार्ता कर ज्ञापन देने का असर शायद अब धरातल पर उतर रहा है.

बताते चलें कि संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष तनवीर अहमद सिद्दीकी, संस्था की संरक्षिका उर्वशी शर्मा, स्वतंत्र पत्रकार ज़ैद  अहमद फ़ारूकी, अधिवक्ता देवेश मणि त्रिपाठी,अधिवक्ता अशोक कुमार शुक्ल, समाजसेवी इं. संजय शर्मा,पत्रकार मो सफीर सिद्दीकी और पत्रकार शम्स तबरेज़ ने आनंदीबेन पटेल से भेंटवार्ता करके मांग की थी कि सूचना आयुक्तों के खिलाफ राजभवन को प्राप्त शिकायतों को सूचना आयोग को भेजने पर रोक लगाई जाए और इन शिकायतों पर राजभवन स्तर पर समिति बनाकर अथवा सूबे में आरटीआई कार्यों के नोडल विभाग प्रशासनिक सुधार से प्राथमिक जांच कराकर आगे की कार्यवाहियां राज्यपाल द्वारा गुण-दोष के आधार पर की जाएँ.

उर्वशी शर्मा ने बताया कि सूचना कानून की धारा 15 और 17 के अंतर्गत सूचना आयुक्तों के खिलाफ निलंबन और बर्खास्तगी जैसी कार्यवाहियों के अधिकार मात्र राज्यपाल में ही निहित हैं और क्योंकि आम जनता द्वारा सूचना आयुक्तों के खिलाफ की गई शिकायतें यांत्रिक रीति से राज्यपाल सचिवालय से प्रशासनिक सुधार विभाग से सूचना आयोग से होकर सम्बंधित आरोपी सूचना आयुक्त को ही प्राप्त हो रही थीं जो अपने खिलाफ हुई  शिकायतों को पत्रवालित कर रहे थे और शिकायतकर्ताओं को प्रताड़ित कर रहे थे इसीलिए इस दोषपूर्ण प्रक्रिया को सुधारने की मांग राज्यपाल से की गई थी.

उर्वशी बताती हैं कि उन्हें लगता है कि प्रतिनिधिमंडल की भेंटवार्ता के बाद प्रशासनिक सुधार विभाग ने शिकायतों को पोस्ट ऑफिस की तरह सूचना आयोग को ट्रान्सफर करने का अपना रवैया बदला है और उनके द्वारा सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और सतर्कता जांच कराने की शिकायत पर स्वयं निर्णय लेकर बीती 06 दिसम्बर को पत्र जारी करके इसकी सूचना उनको दी है.

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बकौल उर्वशी उनके द्वारा बीते अगस्त महीने में भेजी गई शिकायत को राज्यपाल ने प्रशासनिक सुधार विभाग को भेजा हुआ था. उर्वशी बताती हैं कि पहले इस तरह की शिकायतों को प्रशासनिक सुधार विभाग सूचना आयोग भेज देता है लेकिन सीपीआरआई संस्था की मांग पर राजभवन के शीघ्र और कड़े रुख के चलते प्रशासनिक सुधार विभाग ने कई वर्षों के बाद पहली बार किसी सूचना आयुक्त के खिलाफ की  गई शिकायत पर स्वयं निर्णय लिया है.

प्रशासनिक सुधार अनुभाग-2 के संयुक्त निदेशक और उप सचिव डा. शील अस्थाना ने उर्वशी को बताया है कि उनकी शिकायत कार्मिक विभाग के शासनादेश के अनुसार शपथ पत्र पर नहीं है और इस प्रक्रियागत खामी के चलते उनकी शिकायत पर कोई कार्यवाही किया जाना उचित नहीं है.उर्वशी ने बताया कि वे शीघ्र ही डा. शील अस्थाना द्वारा बताये गए कार्मिक विभाग के शासनादेश में दी गई व्यवस्था के अनुरूप शपथ पत्र पर शिकायत भेजकर हर्षवर्धन शाही की चल-अचल संपत्तियों के सम्बन्ध में खुली सतर्कता  जांच कराने की मांग करेंगी.

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