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‘बाबा सिद्दीकी की हत्या का राजनीतिकरण न करें’, अजित पवार ने विपक्ष से की अपील

मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या ने पूरे महाराष्ट्र को हिला दिया है। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं। इसी बीच महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी के नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या का राजनीतिकरण न किया जाए और राज्य सरकार दोषियों को सजा मिलने तक चैन से नहीं बैठेगी।

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'बाबा सिद्दीकी की हत्या का राजनीतिकरण न करें', अजित पवार ने विपक्ष से की अपील

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री सिद्दीकी को मुंबई में बांद्रा इलाके के खेर नगर में उनके विधायक पुत्र जीशान सिद्दीकी के कार्यालय के बाहर शनिवार रात को तीन लोगों ने गोली मार दी थी। उन्हें लीलावती अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस चौंकाने वाली घटना के बाद विपक्ष ने महाराष्ट्र सरकार पर निशाना सधा और राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाया। राज्य में अगले महीने विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।

‘यह सिर्फ एक राजनीतिक क्षति नहीं है, यह एक गहरी व्यक्तिगत त्रासदी है’

अजित पवार ने कहा कि राकांपा बाबा सिद्दीकी की मौत से बहुत दुखी है जो ऐसे नेता थे जिन्हें काफी लोग बहुत प्यार करते थे और व्यक्तिगत रूप से उन्होंने एक प्रिय मित्र को खो दिया है जिसे वह वर्षों से जानते थे। सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा कि, हमारा दिल टूट गया है और इस घटना की क्रूरता से उबरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह सिर्फ एक राजनीतिक क्षति नहीं है, यह एक गहरी व्यक्तिगत त्रासदी है जिसने हम सभी को झकझोर कर रख दिया है।

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अजित पवार ने कहा, मैं सभी से दृढ़तापूर्वक आग्रह करता हूं कि वे इस भयावह घटना का राजनीतिकरण न करें। यह विभाजन का या राजनीतिक लाभ के लिए दूसरों की पीड़ा का फायदा उठाने का समय नहीं है। फिलहाल, हमारा ध्यान न्याय सुनिश्चित करने पर होना चाहिए। सरकार हत्या के दोषियों को सजा दिलाने तक चैन से नहीं बैठेगी।

‘अवसरवादी इस त्रासदी को राजनीतिक तमाशा बनाने देने के बजाय सम्मान और करुणा दिखाए’

पवार ने कहा, मैं बाबा सिद्दीकी के परिवार के अपार दुख को समझते हैं, जिन्हें सबसे बड़ी क्षति हुई है। आइए अवसरवादी आवाज़ों को इस त्रासदी को राजनीतिक तमाशा बनाने देने के बजाय सम्मान और करुणा दिखाए। अजित पवार की टिप्पणी उनके चाचा और विपक्षी राकांपा (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार की उस टिप्पणी की पृष्ठभूमि में आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि सत्ता में बैठे लोगों को केवल जांच की घोषणा करने की जरूरत नहीं है, बल्कि उन्हें जिम्मेदारी स्वीकार करने और अपने पद से हटने की जरूरत है।

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