कन्नौज: अब तक 16 बार लोकसभा चुनाव की गवाह रही इत्रनगरी दो बार उपचुनाव की प्रक्रिया से भी गुजरी है। दोनों ही उपचुनाव सपा सांसदों के इस्तीफे के बाद हुए। खास बात यह रही कि दोनों ही बार सपा के ही सांसद निर्वाचित हुए। पहली बार हुए उपचुनाव में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव यहां से पहली बार सांसद बने। दूसरी बार हुए उपचुनाव में पत्नी डिंपल यादव यहां से निर्विरोध सांसद निर्वाचित हुईं।
कन्नौज संसदीय सीट पर हुए 16 चुनावों के दौरान सात बार समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है। वर्ष 1998-2014 के बीच हुए सभी चुनाव में सपा को लगातार कामयाबी मिलती रही है। वर्ष 2019 में भाजपा की जीत के बाद यह सिलसिला टूटा। पहली बार उपचुनाव वर्ष 2000 में तब हुआ, जब 1999 में यहां से सांसद बने मुलायम सिंह यादव ने इस्तीफा दिया था। तब मुलायम सिंह यादव कन्नौज के साथ ही संभल से भी लड़े थे। दोनों जगह जीत मिलने पर उन्होंने कन्नौज सीट से इस्तीफा दे दिया था।
उनके इस्तीफा से खाली हुई सीट पर अखिलेश यादव पहली बार सियासत के मैदान में आए। जनता के दरबार में हाजिरी लगाकर वह दिल्ली तक पहुंचने में कामयाब भी हुए। उसके बाद वह लगातार तीन बार सांसद बने। वर्ष 2009 में वह तीसरी बार सांसद बने। उसके तीन साल बाद वर्ष 2012 में सूबे की सपा की सरकार बनी तो अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने। ऐसी सूरत में उन्हें इस सीट से इस्तीफा देना पड़ा। उनकी खाली हुई सीट पर पत्नी डिंपल यादव यहां से उम्मीदवार बनीं। उस चुनाव में वह निर्विरोध सांसद निर्वाचित हुईं। यह इस सीट पर एक रिकॉर्ड है।
चार बार लोकसभा चुनाव लड़े अखिलेश, हर बार जीते
अखिलेश यादव अब तक चार बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। कन्नौज में उन्होंने वर्ष 2000, 2004 और 2009 में ताल ठोकी और कामयाब भी हुए। वर्ष 2012 से 2017 तक सूबे का मुख्यमंत्री रहने के दौरान वह लोकसभा चुनाव से दूर रहे। 2019 में उन्होंने आजमगढ़ संसदीय सीट से किस्मत आजमाई और वहां भी जीत हासिल की।
तीन सीट से चुनाव लड़ीं डिंपल, हर बार उपचुनाव से इंट्री
इस समय मैनपुरी की सांसद डिंपल यादव अब तक तीन बार चुनाव जीत चुकी हैं। एक खास बात यह है कि उन्होंने तीन सीट से किस्मत आजमाई है। तीनों ही बार नई सीट पर उनकी इंट्री उपचुनाव से हुई है। पहली बार फिरोजाबाद, उसके बाद कन्नौज और अब मैनपुरी से मैदान में हैं।