समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव किसे आगे करेंगे फिलहाल यह तय नहीं है लेकिन जिन तीन नामों को लेकिन पिछले कई दिनों से चर्चा है उनमें से तेज प्रताप यादव का नाम फिलहाल सबसे आगे चल रहा है। पिता की इस सीट पर प्रत्याशी तय करना अखिलेश के लिए आसान नहीं है। सूबे की राजनीति में बीजेपी की कड़ी घेराबंदी का सामना कर रहे अखिलेश यहां बहुत सोचकर दांव लगाएंगे।
माना जा रहा है कि तेज प्रताप को मैदान में उतारकर अखिलेश एक साथ सियासत और परिवार दोनों के समीकरण दुरुस्त कर सकते हैं। मैनपुरी सीट पर जिन दो अन्य नेताओं को लेकर चर्चा है उनमें अखिलेश यादव की पत्नी और पूर्व सांसद डिंपल यादव और अखिलेश के चाचा शिवपाल सिंह यादव का नाम शामिल है।
ब्रिटेन के लीड्स विश्वविद्यालय से एमएससी (मैनेजमेंट) की डिग्री हासिल करने वाले तेज प्रताप वर्ष 2014 में #मैनपुरी से सांसद चुने गए थे। हालांकि शिवपाल यादव ने भी अभी तक अपनी दावेदारी छोड़ी नहीं है। मैनपुरी से खुद प्रसपा के टिकट पर मैदान में उतरने की सम्भावना से उन्होंने इनकार नहीं किया है। समाजवादी पार्टी और यादव परिवार चाहता है कि कम से कम मैनपुरी में ऐसा कुछ न होने पाए। सूत्रों का कहना है कि परिवार की एकता के लिए शिवपाल, तेज प्रताप का समर्थन करने इसकी पुरजोर कोशिशें की जा रही हैं।
इसके बदले में शिवपाल को 2024 में होने वाले लोकसभा आम चुनाव में वह जहां से चाहें चुनाव लड़ाने का ऑफर दिया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि तेज प्रताप के हक में शिवपाल अपनी दावेदारी छोड़ भी सकते हैं।
दरअसल, परिवार में तेज प्रताप और #शिवपाल के रिश्ते बेहतर बताए जाते हैं। वह एक बार मैनपुरी से सांसद रह भी चुके हैं। बताया जा रहा है बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई सीट पर तेज प्रताप की उम्मीदवारी का शिवपाल भी समर्थन कर सकते हैं।
बताया जा रहा है कि परिवार में एकता बनाए रखने के लिए अंदर ही अंदर शिवपाल को मनाने की कोशिशें भी चल रही हैं। इसका असर शिवपाल की बातों में भी दिख रहा है जो लगातार परिवार में एका की बात करते हुए इसे जरूरी बता रहे हैं।
पार्टी में एक धड़ा मैनपुरी सीट पर मुलायम की विरासत डिंपल यादव को सौंपे जाने के पक्ष में है लेकिन इस सीट पर तेज प्रताप की दावेदारी को फिलहाल सबसे मजबूत माना जा रहा है। बताया जा रहा है सपा और अखिलेश यादव, तेज प्रताप को मैनपुरी से उतारने का लगभग मन बना चुके हैं।