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उत्तर भारत में बढ़ती इस बीमारी को लेकर अलर्ट, कहीं आपके बच्चे में भी तो नहीं हैं ऐसे लक्षण?

सर्दी-खांसी सहित ठंड के मौसम में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं के साथ इन दिनों उत्तर भारत के कई राज्यों में बच्चों में बढ़ती एक बीमारी को लेकर विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों के अस्पतालों में इन दिनों मम्प्स (जिसे कण्ठमाला के नाम से भी जाना जाता है) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ये एक प्रकार का संक्रामक रोग है जिससे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने छोटे बच्चों में कण्ठमाला के तेजी से फैलने को लेकर सभी लोगों को अलर्ट किया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया, जिला मुख्यालय में लगभग 35 से अधिक मामलों की पुष्टि की गई है। 5-10 वर्ष की आयु के बच्चे इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। चिकित्सकों को रोगियों का इलाज करते समय सावधानी बरतने, दवा और चिकित्सा सलाह में उचित देखभाल सुनिश्चित करने की भी सलाह दी गई है। कहीं आपका बच्चा भी इस समस्या का शिकार तो नहीं है?

संक्रामक रोग मम्प्स

इस बढ़ती संक्रामक बीमारी के बारे में अमर उजाला से बातचीत में लखलऊ में फिजिशियन डॉ आर.एन. सिंह बताते हैं, उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी पिछले दिनों इस रोग के मामले रिपोर्ट किए गए हैं।मम्प्स संक्रामक रोग है जो पैरामाइक्सोवायरस नामक वायरस के समूह से संबंधित है। यह बीमारी सिरदर्द, बुखार और थकान जैसे हल्के लक्षणों से शुरू होती है, अगर इसपर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो इसके कारण लार ग्रंथियों (पैरोटाइटिस) में गंभीर सूजन हो जाती है। इसके सबसे आम लक्षण गाल सूज जाना होता है।

बच्चों में इन लक्षणों पर दें ध्यान

कण्ठमाला के शिकार बच्चों में वायरस के संपर्क में आने के लगभग 2 से 3 सप्ताह बाद लक्षण दिखने लगते हैं। शुरुआत में ये फ्लू जैसी समस्या लगती है जिसमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, खाने की इच्छा न होने की दिक्कत हो सकती है। कुछ ही दिनों में ये लार ग्रंथियों की सूजन का कारण बन जाती है। संक्रमितों में चेहरे पर सूजन के साथ दर्द, खाने में परेशानी की दिक्कत भी हो सकती है। इस तरह के लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिए।

कैसे फैलता है ये संक्रमण?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, संक्रमितों के खांसने या छींकने से वायरस वाली छोटी बूंदें हवा में फैल जाती हैं। इनके संपर्क में आने से ये संक्रामक रोग दूसरों में भी फैल सकता है। संक्रमितों के सीधे संपर्क जैसे पानी की बोतल साझा करना या उनके बिस्तर पर सोने से भी ये संक्रमण दूसरों को हो सकता है।

मम्प्स रोग के कारण होने वाली जटिलताओं का खतरा उन लोगों में अधिक देखा जाता है, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ है। अगर इस संक्रमण को अनुपचारित ही छोड़ दिया जाए तो इसके कारण अग्न्याशय को क्षति पहुंच सकती है। कुछ लोगों में ये दीर्घकालिक तौर पर बालों के झड़ने की समस्या का भी कारण बन सकती है।

इस संक्रमण का इलाज और बचाव

जिन लोगों को मम्प्स का वैक्सीनेशन हो चुका है उनमें इसके संक्रमण या रोग के गंभीर रूप लेने का खतरा कम होता है। बच्चों का टीकाकरण जरूर कराएं। ये बचपन के टीकाकरण का एक हिस्सा है। मेसल्स-मम्प्स-रूबेला (एमएमआर) टीके से इस संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है।इस संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। इलाज में लक्षणों को ठीक करने के लिए दवाएं दी जाती हैं। रोगी को अधिक मात्रा में तरल पदार्थ देने, गुनगुने नमक वाले पानी से गरारे करने, मुलायम, आसानी से चबाने योग्य भोजन देने की सलाह दी जाती है।

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