दुनिया की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने भारत के लघु एवं मझोले उपक्रमों को डिजिटल बनाने पर एक अरब डॉलर (7,000 करोड़ रुपये) का निवेश करने की घोषणा की है. अमेजन के सीईओ जेफ बेजोस ने बुधवार को नई दिल्ली में लघु एवं मझोले उपक्रमों पर आयोजित ‘अमेजन संभव सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए यह घोषणा की.
हालांकि बेजोस ने इस निवेश के लिए समयसीमा की घोषणा नहीं की है. कंपनी भारत में अब तक 5.5 अरब डॉलर का निवेश कर चुकी है. आज की भारतीय करेंसी में यह 389.76 अरब रुपये बैठता है. बेजोस ने कहा कि कंपनी अपनी वैश्विक पहुंच के जरिए 2025 तक 10 अरब डॉलर के ‘मेक इन इंडिया’ उत्पादों का निर्यात करेगी. ‘अमेजन संभव सम्मेलन’ दो दिवसीय है. इस सम्मेलन में इस बात पर चर्चा की जाएगी कि कैसे लघु एवं मझोले उपक्रमों को प्रौद्योगिकी के प्रति जागरूक किया जा सकता है.
बेजोस ने यह भी कहा कि 21वीं सदी भारतीय सदी होगी और भारत-अमेरिका गठजोड़ सबसे महत्वपूर्ण होगा. बेजोस भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं. वह शीर्ष सरकारी अधिकारियों, उद्योगपतियों और एसएमबी उद्यमियों के साथ मुलाकात करेंगे. इस वक्त अमेजन छोटे भारतीय मैन्युफैक्चरर्स को दुनिया के 12 बाजारों में अपना सामान बेचने की सहूलियत देती है. अमेजन ने हाल ही में अपनी दो भारतीय इकाइयों— अमेजन पे इंडिया और अमेजन होलसेल इंडिया में 1715 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसमें से 1355 करोड़ रुपये अमेजन पे में और 360 करोड़ रुपये अमेजन होलसेल इंडिया में डाले गए हैं.
बेजोस को भारत के ट्रेडर्स की ओर से विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ रहा है. यह विरोध अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई—कॉमर्स कंपनियों की अनुचित बिजनेस पॉलिसीज को लेकर है. व्यापारियों का कहना है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट की नीतियां गैर—प्रतिस्पर्धी हैं और वे भारतीय बाजार पर कब्जा जमाना चाहती हैं. उनका यह भी कहना है कि ये कंपनियां एफडीआई नीति के प्रावधानों का पालन नहीं कर रही हैं और जीएसटी व आयकर बचा रही हैं. ई-कॉमर्स कंपनियों पर लगाए गए इन आरोपों को लेकर केन्द्रीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने जांच का आदेश भी दिया है.