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रूस के संविधान में संशोधन, व्लादिमीर पुतिन पर आजीवन नहीं हो सकेगा कोई मुकदमा

रूस के संविधान में एक ऐसा संशोधन किया गया है जिसके तहत रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनके परिवार के ऊपर पद से हटने के बाद भी आपराधिक मुकदमा नहीं दर्ज हो पाएगा। रूस के सभी राजनेताओं ने इस विधेयक का समर्थन किया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह बिल दोनों सदनों में आसानी से पास हो गया क्योंकि पुतिन समर्थकों का रूस के दोनों सदनों में समर्थन हासिल है।

रूसी संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद पुतिन ने मंगलवार को पूर्व रूसी राष्ट्रपतियों को किसी भी अपराध के लिए आजीवन प्रतिरक्षा प्रदान करने वाले बिल पर हस्ताक्षर किए।

यह विधेयक उन संवैधानिक संशोधन का हिस्सा है जिन्हें इसी साल जुलाई में एक जनमत संग्रह में सहमति दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि पुतिन 2036 तक राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे।

विधेयक को मंगलवार को ऑनलाइन प्रकाशित किया गया, यह पूर्व राष्ट्रपति और उनके परिवारों को उनके जीवनकाल के दौरान किए गए अपराधों के लिए अभियोजन पक्ष से प्रतिरक्षा प्रदान करता है। उन्हें पुलिस या जांचकर्ताओं, साथ ही खोजों या गिरफ्तारियों से पूछताछ करने की भी छूट होगी।

इस वक्त रूस के सिर्फ एक पूर्व राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव जीवित हैं जिन्हें पुतिन के साथ नए कानून का लाभ मिलेगा। दमित्री मेदवेदेव पुतिन के सहयोगी हैं।

नए विधेयक के तहत रूस के पूर्व राष्ट्रपति के साथ-साथ उनके परिवार के लोग भी पुलिस जांच और पूछताछ के दायरे से बाहर होंगे। साथ ही इन लोगों की संपत्ति भी जब्त नहीं की जा सकेगी।

पुतिन की उम्र 68 साल है और उनका चौथा कार्यकाल 2024 में पूरा हो रहा है, लेकिन संवैधानिक बदलाव के बाद वे छह साल के दो और कार्यकाल पूरा कर सकते हैं। पुतिन साल 2000 से ही रूस की सत्ता में हैं।

हालांकि, नए बचाव विधेयक में असाधारण परिस्थितियों में किए गए गंभीर अपराध और राजद्रोह के मामलों को अपवाद की श्रेणी में रखा गया है। यानी इन स्थितियों में पूर्व राष्ट्रपतियों पर भी मुकदमा हो सकता है।

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