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ग्रामीण नगरीय अंतर्संबंध: रूपरेखा, गतिशीलता एवं परिवर्तन” विषय वेबिनार आयोजित

लखनऊ। खुन-खुन जी गर्ल्स पीजी कालेज की प्राचार्या प्रो अंशु केडिया के मार्गदर्शन एवं डॉ सुप्रिया सिंह के संयोजकत्व में समाजशास्त्र विभाग, भारतीय समाजशास्त्र परिषद की शोध समिति 8 (इनेक्वालिटीज, स्ट्रेटिफिकेशन एक्सक्लूजन स्ट्डीज) और शोध समिति 14 (ग्लोबलाइजेशन एंड कल्चर) के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय (1 & 2 मार्च, 2023) राष्ट्रीय वेबिनार “ग्रामीण नगरीय अंतर्संबंध: रूपरेखा, गतिशीलता एवं परिवर्तन” विषय पर आयोजित की गई।

वेबिनार

इस वेबिनार में पूरे देश से विभिन्न स्थानों जैसे उड़ीसा, महाराष्ट्र, गुजरात, जम्मू और मध्यप्रदेश से प्रतिष्ठित समाजशास्त्रियों ने प्रतिभाग किया। यह वेबीनार भारत के प्रमुख समाजशास्त्रियों में से एक प्रो ब्रज राज चौहान के सम्मान में उनके जन्मदिन के अवसर पर आयोजित की गई। जिन्होंने अपनी सृजनात्मक शिक्षण पद्धति और समृद्ध लेखन के द्वारा समाजशास्त और विशेष रूप से ग्रामीण समाजशात्र को नई दिशा प्रदान की।

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वेबिनार के प्रथम दिन भारतीय समाजशास्त्र परिषद की अध्यक्षा प्रो आभा चौहान ने अपने उद्घाटन भाषण में अपने पिता और ग्रामीण समाजशास्त्र को अपनी गहन समझ और क्षेत्रकार्य के द्वारा संपन्न बनाने वाले प्रो ब्रज राज चौहान को याद करते हुए उनके योगदान पर बल दिया। उन्होंने प्रो चौहान के व्यक्तित्व पर अपने विचार रखें और उनके व्यक्तिगत एवं पेशेवर जीवन पर चर्चा की एवं ग्रामीण एवं शहरी तत्वों की अंतःक्रिया एवं उसके परिणाम के बारे में बताया।

वेबिनार

मेरठ विश्वविद्यालय से प्रो पुंडीर ने मुख्य वक्ता के रूप मे प्रो चौहान के साथ अपनें छात्र जीवन तथा अपने मेरठ विश्वविद्यालय में अर्जित किए गए अनुभवों को साझा किया तथा उनके विचारों को बदलते सामाजिक परिवेश के संबंध में महत्वपूर्ण बताया।

कार्यक्रम के दौरान एक संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता लखनऊ समाजशास्त्र विभाग के हेड प्रो डीआर साहू ने की। मुख्य वक्ता के रूप में सम्मिलित बरकतुल्ला विश्वविद्यालय से प्रोफेसर अरविंद चौहान ने प्रोफेसर बीआर चौहान के व्यक्तित्व के पहलुओं पर प्रकाश डाला तथा उनके छेत्र अध्यन के प्रति समर्पण के बारे में भी चर्चा की जिसको उन्होंने अपने अध्यनो में ग्रामीण भारत के संरचनात्मक तत्वों के अंतर संबंधों को समझने के लिए इस्तेमाल किया।

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रोफेसर वीपी सिंह ने भी प्रो चौहान के छात्र होने के अनुभवों को साझा किया तथा भारतीय ग्रामीण समाज में भूमंडलीकरण द्वारा लाए गए आर्थिक एवं तकनीकी परिवर्तनों पर चर्चा की।

पुणे विश्वद्यालय से समाजशास्त्र विभाग की अध्यक्षा प्रो श्रुति तांबे ने बताया की किस प्रकार ब्रज राज चौहान की शिक्षण पद्धति भारतीय समाज को समझने के लिए महत्वपूर्ण है और ग्रामीण जीवन में निरंतरता, खुलापन, बहुआयामी वास्तविकता को समझने के लिए उनके विचार कितने महत्वपूर्ण है इस पर बल दिया।

वेबिनार

बनारस विश्विद्यालय से प्रो जयकांत तिवारी ने ग्रामीण समाज के बदलते पहलुओं पर विचार रखे एवं बाजार, तकनीकी एवं उसके द्वारा बढ़ते ग्रामीण शहरी अंतः क्रिया पर चर्चा की। वेबिनार की संयोजिका डा सुप्रिया सिंह के अतिरिक्त डॉ ज्योत्सना पांडेय, डॉ स्नेहलता शिवहरे एवं डॉ रुचि यादव आदि द्वारा सहसंयोजिका के रूप मे भूमिका का निर्वहन किया गया।

इसके अतिरिक्त संयोजक समिति के सदस्य के रूप में डॉ जया पांडेय, महिला महाविद्यालय से, डॉ आलोक, आचार्य नरेंद्र देव किसान पीजी कॉलेज, गोंडा से, विनय सिंह चौहान, राजेंद्र प्रसाद डिग्री कॉलेज बरेली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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