राजनीति के हिसाब से बिहार बहुत ही रोचक राज्य है। बीते साल नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जब गठबंधन तोड़ा तो दोनों के रिश्ते सदा के लिए खत्म होने की बात कही जाने लगी थी।
मुख्यमंत्री ने खुद भी कहा था कि अब बीजेपी के साथ जाने का सवाल ही नहीं पैदा होता है। हालांकि, सियासत में कुछ भी परमानेंट नहीं होता है। ना दोस्ती और ना ही दुश्मनी। बिहार में इन दिनों कुछ ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं। ऐसा कहा जाने लगा है कि तेजस्वी यादव के पास सत्ता का सुख अब ज्यादा दिन नहीं रहने वाला है। नीतीश कुमार फिर एकबार बीजेपी के साथ आ सकते हैं।
एक मार्च को जब नीतीश कुमार अपना 72वां जन्मदिन मना रहे थे तो उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर बधाई दी। इसके अलावा कई भाजपा नेता और बीजेपी शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बधाई देने वालों की लिस्ट में शामिल हुए। नीतीश कुमार ने भी धन्यवाद देने में देरी नहीं लगाई। हालांकि, बधाई देने में देरी उनके डिप्टी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कर दी। हालांकि, सीएम ने उन्हें भी धन्यवाद कहा।
अमित शाह का फोन करके बधाई देना एक बड़े सियासी उलटफेर की तरफ इशारा कर रहा है। इन घटनाक्रमों से बीजेपी और जेडीयू के रिश्ते फिर से पटरी पर आने के कयास लगने लगे हैं। अगर दोनों दलों के रिश्ते सुधरते हैं तो इसका असर बिहार की सियासत में भी देखने को मिल सकता है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि बीजेपी और जेडीयू फिर साथ-साथ आए और बिहार में नई सरकार बनाए।
इस दिन एक और बड़ी सियासी घटना घटी। जेडीयू के वरिष्ठ सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, केंद्रयी गृह मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता अमित शाह ने नीतीश कुमार को फोन कर जन्मदिन की बधाई दी। जाहिर सी बात है कि जब दो पार्टियों के दो दिग्गज नेता आपस में बात करते हैं तो कई सियासी मुद्दों पर भी चर्चा होती है। लोग कयास लगाने लगे हैं कि बिहार में संभावित गठबंधन को लेकर भी चर्चा हुई होगी। इसी दिन केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी फोन कर नीतीश कुमार को बधाई और शुभकामनाएं दीं।