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शिक्षण का नवोन्मेषी तंत्र

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

संवाद की ऑनलाइन प्रक्रिया का प्रयोग अब कोई नया नहीं है। लेकिन कोरोना के कारण चल रहे लॉक डाउन ने नवोन्मेष के लिए भी प्रेरित किया है। आज ही प्रधानमंत्री ने तीन मई तक लॉक डाउन जारी रखने का ऐलान किया,इधर शिक्षण हेतु लखनऊ विश्वविद्यालय ने कई नवोन्मेषी प्रयोगों को अंतिम रूप दिया। विश्विद्यालय के उनचास विभागों ने अब तक अपने अपने यूनट्यूब के चैनल बना लिए है। जिनमें दो सौ पचास से ज्यादा विडियो व्याख्यान मौजूद हैं।

ये व्याख्यान विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने तैयार किये हैं।विश्ववियालय की वेबसाइट पर कला, वाणिज्य,शिक्षण, अभियांत्रिकी,विधि और विज्ञान संकाय के विभिन्न शिक्षकों द्वारा निर्मित सोलह सौ से ज्यादा ई कंटेंट उपलब्ध है। इनमें वर्ड फाइल,पी.डी.ऍफ़., ऑडियो अथवा विडियो व्याख्यान,पी.पी.टी,आदि शामिल हैं। इसके अलावा शिक्षक ऑनलाइन कक्षाएं भी पढ़ा रहे हैं। अब तक साढ़े पांच सौ से अधिक कक्षाएं पढ़ाई जा चुकी हैं। ऑनलाइन कक्षाओं का टाइम टेबल भी जारी किया जा चुका है।


विश्वविद्यालय अपने सम्बद्ध महाविद्यालयों को भी ऑनलाइन क्लास लेने और अच्छा ई कंटेंट बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। प्राचार्यों के साथ हुई एक बैठक में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.आलोक कुमार राय ने विश्वविद्यालय के वे पटल का उपयोग महाविद्यालयों को भी करने का सुझाव दिया था। विश्वविद्यालय में एक साइबर लाइब्रेरी है जिसमें आठ हजार दो सौ इकहत्तर से अधिक पुस्तकें है।

ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक जर्नल और डेटाबेस इनफ्लिबनेट और ई सोद्धसिन्धु कार्यक्रम के माध्यम से उपलब्ध हैं। नौ हजार दो सौ तिहत्तर ई-पुस्तक उपलब्ध हैं। सीडी व डीवीडी के रूप में आठ हजार छह सौ अट्ठाईस ई पुस्तकें भी उपलब्ध हैं। इसका लाभ वैश्विक स्तर पर उठाया जा सकता है। इस संबन्ध में विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क निदेशक प्रो दुर्गेश ने विस्तृत जानकारी दी।

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