रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन के प्रति बहुत सजग रहती है। इसमें उनकी गहरी दिलचस्पी भी है। लखनऊ राजभवन में उन्होंने इसके दृष्टिगत अनेक कार्य भी किये है। आनंदी बेन पटेल प्राचीन भारत के प्रकृति व पर्यावरण संवर्धन व संरक्षण से प्रेरणा लेती है। इसके प्रति उनकी आस्था है। वस्तुतः इस भारतीय चिंतन में विश्व और मानवता के कल्याण की भावना समाहित है। आज इस चिंतन पर अमल की आवश्यकता है। आनन्दी बेन पटेल विश्वविद्यालयों के प्रायः सभी कार्यक्रमों में खासतौर पर विद्यर्थियो को पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा देती है। वह स्वयं इसपर अमल करती है,इसलिए उनके सन्देश का लोगों पर प्रभाव भी पड़ता है।
जलवायु परिवर्तन के काल में पोषण एवं खाद्य सुरक्षा: चुनौतियां एवं समाधान विषयक राष्ट्रीय बेबीनार में भी उन्होंने यह सन्देश दिया। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय परम्परा में पेड़ पौधों में परमात्मा, जल में जीवन,चांद और सूरज में परिवार का भाव देखने को मिलता है। वेदों में पृथ्वी और पर्यावरण को शक्ति का मूल माना जाता है। उपभोगवादी प्रवृत्ति ने निर्ममता से प्रकृति का शोषण किया है। इसका प्रतिकूल प्रभाव पृथ्वी और मानव स्वास्थ्य पड़ रहा है। प्राकृतिक में सर्वाधिक परेशानी समाज के निर्धन एवं वंचित लोगों झेलनी पड़ती है। इसलिये वर्तमान पीढ़ी का यह दायित्व है कि वह भावी पीढ़ी के लिए समृद्ध प्राकृतिक संपदा को सुरक्षित रखने का प्रयास करना चाहिए।
आनंदीबेन पटेल ने ठीक कहा कि जलवायु परिवर्तन कृषि के लिए एक बड़ी चुनौती है। जिसका कृषि उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ना है। जैव प्रौद्योगिकी से इसका समाधान संभव हो सकता है। जैव प्रौद्योगिकी द्वारा ऐसी प्रजातियाँ विकसित करने की आवश्यकता है, जिन्हें विषम परिस्थितियों में भी सफलतापूर्वक उगाया जा सके। खाद्य सुरक्षा के साथ साथ हमारा लक्ष्य स्वच्छ वातावरण भी होना चाहिए। अतः ऐसे सभी विकल्पों को ढूंढ़ने की आवश्यकता है, जो रसायनों के ऊपर निर्भरता कम कर सके। किसानों और कृषि वैज्ञानिकों की मेहनत से हमारे खाद्य भण्डार भरे रहते हैं। उसका सुचारू वितरण हो रहा है। हमारा देश खाद्यान्न के क्षेत्र में अब आत्मनिर्भर है। लाॅकडाउन के दौरान देश में खाद्यान्न आपूर्ति की निरन्तरता इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। कि भारत में खाद्यान्न सामग्री की असुविधा नहीं हुई। केन्द्र और प्रदेश सरकार ने निरन्तर खाद्य आपूर्ति चेन को बनाये रखा। राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न कल्याणकारी नीतियों एवं योजनाओं के माध्यम से महिलाओं एवं बच्चों के पोषण के लिये प्रयास किए जा रहे हैं।