देशभर में कोरोना से देश की अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल छा गए है। लेकिन इन्हीं बादलों के बीच ग्रामीण भारत की तरफ से रौशनी भी दिखाई दे रही है। ख़बरों के मुताबिक, अब सरकार ने सीधे खेतों से फसल को लेकर बड़े शहरों में पहुंचाने और फिर एक्सपोर्ट करने की भी कवायद शुरू कर दी है।
सरकार को भरोसा है कि इस साल अच्छी फसल होगी, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और उस आमदनी बढ़ने से इंडस्ट्री में भी मांग पैदा होगी। अप्रैल महीने में मिले संकेतों के चलते नीति आयोग ने उम्मीद जताई है कि देश में कृषि की विकास दर में बढ़त देखने को मिलेगी और साल की पहली तिमाही में अच्छी फसल के लिए माहौल मुफीद है।
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में सुझाव दिया है कि देश के ग्रामीण इलाकों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना आसान है। ऐसे में वहां की उत्पादों को बढ़ावा देने वाले उपायों पर फोकस करना चाहिए।
उन्होंने कहा, इस साल मानसून अच्छा रहने के अनुमान है। जल के स्रोत पिछले साल के मुकाबले 40-60 फीसदी ज्यादा हैं। इस साल अप्रैल में अब तक खाद की बिक्री 8% बढ़कर 13.5 लाख टन पर पहुंच गई है। कृषि विज्ञान केंद्रों से बीच की बिक्री भी पिछले साल के मुकाबले इस साल अप्रैल में 20 फीसदी बढ़ी है। रमेश चंद ने कहा कि अगर सरकार किसानों के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर दे सकेगी तो इससे ग्रामीण स्तर पर रोजगार बढ़ेंगे।
वही सरकार की तरफ से देश भर में ग्राणीण क्षेत्र में डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा देने वाले कॉमन सर्विस सेंटर के सीईओ दिनेश त्यागी ने हिन्दुस्तान को बताया कि सीधे किसानों के खेत से उत्पादों को एक्सपोर्ट करने की रणनीति पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में कॉमन सर्विस सेंटर की तरफ से ग्रामीण ई स्टोर चलाए जा रहे हैं।