फिल्मकार Anurag Kashyap (अनुराग कश्यप) मानते है कि फिल्मों पर हमने बहुत भार डाल दिया है। जो हम अपने समाज में देखने को तैयार हैं वो फिल्मों में देखने को तैयार नहीं हैं। हम मानते हैं कि एक फिल्म हमे खत्म कर देगी।
जेएलएफ में Anurag Kashyap ने कहा
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) में Anurag Kashyap ने कहा, मुझे गुस्सा इस बात पर आता था कि कोई मुझे अपनी गलतियां क्यों करने देता है। लोग मुझे क्यों बताते है कि मेरे लिए सही क्या है।
- वाराणसी से मुंबई आया और हिंदी अच्छी थी इसलिए नाटकों में काम मिलने लगा।
- फिर कुछ बेहद खराब फिल्मों में काम किया जो गूगल पर भी नहीं मिलेगी।
- इसके बाद मैंने कैमरे के पीछे जाने का फैसला किया।
- अनुराग ने कहा कि पहले हमारी फिल्मों के हीरो का कोई सरनेम नही होता था।
- यह पता नहीं चलता था कि वह कहां से आ रहा है।
- हमने कोशिश की कि पता चले वह कहां से है जैसे भीखू महात्रे।
- सरनेम से उसका समाज व उसकी राजनीति किरदार में आएगी और वह पूरा बनेगा।
- अपनी फिल्म गुलाल की चर्चा करते हुए अनुराग ने कहाकि इसे बनाने मे आठ साल लगे।
- राजस्थान में मैं कई लोगों से मिला। पता लगा कि यहां राजपूत समय से बहुत पीछे हैं।
- हर किसी की अपनी कहानी है। उनमें प्रिवी पर्स छिनने सहित कई बातों को लेकर गुस्सा है।
- लेकिन अपने आलस के कारण वो कुछ कर नहीं पा रहे हैं।