औरैया। जिले के समीपवर्ती जनपदों में मक्का की फसल में फॉलआर्मी कीट का प्रकोप पाया गया है जो कि मक्का की फसलों को नष्ट कर रहा है। ऐसे में जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने जनपद के किसानों से फॉलआर्मी कीट से सचेत रहने के लिए नियमित निगरानी करने व उससे बचाव के उपाय बताए हैं।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी आवेश कुमार सिंह ने गुरुवार को बताया कि औरैया जिले में किसान बड़ी मात्रा में मक्का की फसल का उत्पादन करते हैं। वर्तमान में समीपवर्ती जनपदों में मक्का की फसल में फॉलआर्मी कीट का प्रकोप चल रहा है हालांकि अभी तक अपने जनपद में इस कीट का प्रकोप नहीं है, यह कीट अत्यधिक खतरनाक हाता है। कीट की सूड़ी जाल की तरह फसल के पौधे पर फैल जाती है और तेजी से नुकसान पहुंचाती है।
यह कीट फल की सभी अवस्थाओं को हानि पहुंचाता है। कीट के प्रकोप की पहचान इसका काले रंग का सिर एवं सिर पर उल्टे Y (वाई) आकार का निशान होगा, शरीर पर काले रंग के गहरे धब्बे होते हैं तथा फसल की बढ़वार अस्था में पत्तियों में छिद्र एवं पत्तियों के बाहरी किनारों पर इस कीट द्वारा उत्सर्जित पदार्थों से की जा सकती है। उत्सर्जित पदार्थ महीन भूसे के बुरादे जैसा दिखाई देता है। अतः जनपद के कृषक भाइयों को सचेत किया जाता है कि वह अपनी फसल की नियमित निगरानी करते रहे।
यदि यह कीट उनकी फसल में दिखायी देता है तो तुरंत कृषि विभाग को अवगत करा दें, तथा इस कीट के यांत्रिक नियंत्रण हेतु सभी किसान भाई बई पर्चर (T या Y आकार की 06 से 07 फुट लम्बी लकडी की टहनियां पक्षियों को बैठन हेतु) 06 से 08 प्रति एकड एवं सायं 07 से 09 बजे तक तीन से चार जगह प्रकाश प्रपंच एवं रासायनिक उपचार हेतु नीम ऑयल 05 मिली प्रति लीटर पानी अथवा इमामेक्टिन बेन्जोएट 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी या थायोगेथाक्साम 12.6 प्रतिशत, लेम्डासायहैलोथिन 9.5 प्रतिशत 0.5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकार छिडकाव करें। उन्होंने जनपद के निजी कृषि दवाइयों के विक्रेताओं को निर्देशित किया जाता है कि वह उक्त रसायनों की उपलब्धता अनिवार्य रूप से बनाये रखें ।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर